देहरादून : बाल विकास विभाग देहरादून में विभिन्न योजनाओं में कार्यरत 380 कार्मिकों को कंपनी का करार खत्म होने पर नौकरी से बेदखल कर दिया गया जिससे तमाम कार्मिकों के लिए रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। इस मौके पर मौजूद आप प्रवक्ता उमा सिसोदिया और आप कार्यकर्ताओं ने सचिवालय के बाहर सड़क पर बैठे इन कार्मिकों से मुलाकात की और इनको अपना समर्थन दिया।
इस दौरान उन्होंने कहा, इन 380 कार्मिकों के साथ बाल विकास विभाग सौतेला व्यवहार कर रहा है यह सभी कार्मिक टीडीएस मैनेजमेंट कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड के अनुबंध के तहत बाल विकास विभाग के अंतर्गत चलने वाली कई केंद्रीय योजनाओं में काम कर रहे थे, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, राष्ट्रीय पोषण मिशन, महिला शक्ति केंद्र, वन स्टॉप सेंटर एवं राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन 181 समेत कई योजनाओं में अपनी सेवाएं दे रहे थे। इन सभी कार्मिकों ने पूरी ईमानदारी से अपना काम किया लेकिन अब कोरोना के समय नौकरी से निकाले जाने के बाद इनके पास अपने घर चलाने की समस्या खड़ी हो गई। बात यहीं खत्म नहीं होती> इनको पिछले 5 से 8 महीने का वेतन भी नहीं मिला। आप प्रवक्ता ने यह भी बताया इनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया, सरकार द्वारा किसी विभाग के अंतर्गत कुछ जिलों में समितियों के माध्यम से कुछ कार्मिकों का चयन किया गया जिनको विभाग पूरा मानदेय दे रहा है जबकि नौकरी से निकाले गए इन कार्मिकों के वेतन से जीएसटी सर्विस चार्ज पीएफ ईएसआई के नाम पर पैसा काटा जा रहा है। आखिर एक ही विभाग में एक ही सीट के लिए दोहरी नीति क्यों।
आप प्रवक्ता ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार एक और महिलाओं के उत्थान की लगातार बात करती है और सरकार के ही राज में महिलाओं को नौकरी से बेदखल कर दिया जाता है। सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है उन्होंने यह भी कहा कि इसी विभाग की मंत्री खुद महिला है और इसी कंपनी के टेंडर के सिलसिले में मंत्री और एक आईएस का आपस में मतभेद हो गया था जो मुद्दा सड़क से लेकर सदन तक पहुंचा।
यहां आंदोलित कार्मिकों ने आज आंदोलन के माध्यम से निदेशालय को आगाह किया कि अगर 15 अक्टूबर तक उनकी पुनः नियुक्ति नहीं हुई तो वह भूख हड़ताल करेंगे और साथ ही आम आदमी पार्टी भी न्याय की इस लड़ाई में इन कार्मिकों को पूर्ण समर्थन देगी।