चमोली: अगर आपको सही जानकारी और रास्तों का पता ना हो तो कहीं भी घूमने जाते वक्त रास्ते में कुछ ऐसा निशान जरूर छोड़ते जाएं, जिससे आपको वापसी में दिक्कत ना हो और रास्ता भटकने का खतरा भी ना रहे। एडवेंचर पर जाने वाले लोग अक्सर ऐसा करते हैं। लेकिन, दिल्ली से औली घूमने आए तीन दोस्तों को ना तो रास्ते पता थे और ना उनको इस बात की जानकारी थी कि कैसे वापसी के लिए रास्ता तलाशा जा सकता था। यही कारण था कि वो जंगल में खो गए।
दरअसल, दिल्ली से तीन दोस्त औली घूमने आए। ट्रेकिंग के बाद रास्ता भटक गए और गोरसों के चोंन्या बुग्याल के घने जंगलों में खो हो गए। काफी देर तक रास्ते की तलाश की, लेकिन जब तीनों अंधेरा होने तक रास्ता नहीं ढूंढ पाए तो, उन्होंने एडवेंचर एसोशिएसन के सदस्यों से संपर्क संपर्क किया। एसोसिएशन के सदस्य भी देरी किए बगैर उनकी मदद के लिए निकल पड़े और तीन घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उन्हें सकुशल औली कैंप वापस लाए।
सिद्धार्थ वर्मा और उनके दो दोस्त यहां घूमने के लिए आए हुए थे। दिनभर ट्रैकिंग के बाद शाम तक उन्हें वापस लौटाना था, लेकिन तीनों दोस्त गोरसों के चोन्नया तोक में घने जंगलों में भटक गए और रास्ता भूल गए। वे काफी देर तक रास्ता ढूंढ़ते रहे, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। जब अंधेरा हुआ तो उन्होंने गुगल सर्च कर जोशीमठ एडवेंचर एसोशिएसन के सदस्यों से संपर्क किया।
एसोशिएसन के सदस्य संतोश कुंवर और विवेक पंवार तुरंत लाइट के साथ मौके पर रवाना हुए। संतोष ने बताया कि औली से दो किलोमीटर पैदल चलकर कोठी आलू फार्म हाउस के पास उनील तोक में रिंगाल के घने जंगलो के बीच पर्यटकों की लोकेशन थी। पर्यटकों को लाइट के माध्यम से संकेत दिए गए।