पिथौरागढ़ : बोर्ड परिक्षाएं बच्चों के सिर पर हैं…बच्चे अच्छे नंबर लाने के लिए एक्स्ट्रा क्लासेस,ट्यूशन के साथ घर में दिन रात पढ़ाई कर रहे हैं ऐसे में बच्चों को ज्यादा समझने औऱ उनसे नरमी से पेश आने की अभिभावकों को जरुरत है…क्यों कि पहले से ही बच्चे पढ़ाई को लेकर, बोर्ड परिक्षाओं को लेकर इतनी टेंशन में हैं…और कहते हैं गुरु शिष्य का सच्चा मार्गदर्शक होता है जो उसको सही राह दिखाता है लेकिन पिथौरागढ़ में शिक्षक के कारण एक छात्र की जिंदगी खत्म हो गई. ये घटना हर अभिभावक और छात्र-छात्रओं को सहमा देगी.
जी हां शिक्षक की डांट से परेशान होकर पिथौरागढ़ में एक स्कूल के छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली…जिसके बाद छात्र के परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर हत्या का आरोप लगाया है. वहीं पुलिस ने दो कर्मचारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरु कर दी है.
12वीं के छात्र ने की आत्महत्या
जी हां पिथौरागढ़ थल के पास मुवानी के एक इंटर कॉलेज के छात्र ने टीचर की जांच से परेशान होकर आत्महत्या कल ली…पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार छात्र 12वीं का छात्र था जो की 17 वर्ष का था. बताया कि स्कूल के शिक्षक ने छात्र से प्रेक्टिक परीक्षा का सवाल किया जिसका वो जवाब नहीं दे पाया. जिसके बाद टीचर ने उसे डांटा साथ ही इसकी शिकायत परिजनों से करने को कही. जिससे परेशान होकर छात्र ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया.
मिली जानकारी के अनुसार छात्र ने स्कूल के ही पास स्थित आश्रम के पीछे पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं छात्र के परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर उत्पीड़न का आरोप लगाया और पुलिस को तहरीर दी. वहीं पुलिस ने पूछताछ के लिए स्कूल के दो कर्मचारियों को हिरासत में लिया.
पहले बोर्ड परीक्षा की टेंशन और ऊपर से शिक्षकों का उत्पीडन
ये पहला मामला नहीं है जब छात्र-छात्राओं ने उत्पीडन से तंग आकर इस तरह का कदम उठाया है. पहले भी कई छात्र-छात्राएं ऐसा कदम उठा चुके हैं लेकिन बड़ा सवाल है कि आखिर कब तक ये होता रहेगा…पहले तो पढ़ाई का भार ऊपर से बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर लाने की टेंशन और फिऱ शिक्षकों का उत्पीडन…बच्चें करे तो करे क्या…घर से लेकर स्कूल और स्कूल से लेकर घर…यही उसकी जिंदगी होती है…लेकिन परिजनों को क्या पता स्कूल में क्या सलूक बच्चों के साथ हो रहा है किस तरह उत्पीडन हो रहा है…जिसे बच्चे माता-पिता तक को नहीं बता पाते.
शिक्षा मंत्री से अपील
आखिऱ स्कूलों के लिए कोई मानक क्यों तय नहीं…न फीस को लेकरन किताबों को लेकर और न शिक्षक-बच्चों को लेकर. बात किसी की भी करें…अभी उत्तराखंड के कई स्कूलों से छात्र के साथ छेड़छाड़ के मामले आ चुके हैं. शिक्षा मंत्री से अपील है कि स्कूलों के लिए एडवाइजरी जारी होनी चाहिए…ताकि शिक्षक छात्र-छात्राओं को इस तरीके से टॉर्चर न करें. और कोई ऐसा करे तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाही होनी चाहिए ताकि और शिक्षकों को सबक मिले.