सीबीआइ के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक के अनुसार, गुरुराम दास अस्पताल खटीमा के एमडी डॉ. कश्मीर सिंह महरोक ने नानकमत्ता, खटीमा में एक अस्पताल का निर्माण कराया था। आयकर विभाग ने डॉ. कश्मीर सिंह को 15 लाख रुपये की इनकम टैक्स रिकवरी का नोटिस भेजा था। डॉ. महरोक ने डीएल रोड देहरादून निवासी आयकर अधिकारी अमरीश कुमार सिंह से संपर्क किया और 15 लाख टैक्स देने में असमर्थता जाहिर की। आयकर अधिकारी की पहल पर मामले के निपटारे के लिए 2 लाख रुपये में सौदा भी तय हो गया। यह रकम दो किश्तों में देने की बात तय हुई।
डॉ. कश्मीर सिंह ने आठ जनवरी 2015 को देहरादून आकर सीबीआइ से मामले की शिकायत की। सीबीआइ अधिकारी तेजप्रकाश देवयानी के नेतृत्व में टीम ने 13 जनवरी को आयकर अधिकारी अमरीश कुमार सिंह को डॉ. महरोक से एक लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद जब सीबीआइ ने देहरादून और हल्द्वानी में उसके आवास खंगाले तो दोनों जगह करोड़ों रुपये की नामी, बेनामी संपत्ति का ब्यौरा मिला। जांच के बाद सीबीआइ ने 12 मार्च 2015 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। वहीं स्पेशल जज सीबीआइ सुजाता सिंह की अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई और 1 लाख का जुर्माना भी लगाया।