टिहरी- सरकार! आपके सरकारी सिस्टम ने स्वरोजगार का साहस जुटाने वाले गौतम के अरमानों को कुचल कर रख दिया है। आपने गौतम को महाभारत के उस अभिमन्यु बना दिया है जिसे सातवां द्वार भेदना नहीं आता था। तय है कि अगर तत्काल गौतम की मदद न हुई तो उसकी उम्मीद तो टूटेगी ही आप पर भी कलंक लग जाएगा कि जनता के लिए बनी सरकार के दौर में स्वरोगार का सपना टूटा और गोमाता भूख से बिलबिला कर मर गई।
हुजूर! गौतम नेगी खैरात नहीं अपनी जमीन जायदाद गिरवी रखकर बैंक से कर्ज मांग रहा है। कोई गुनाह नहीं कर रहा है लेकिन आपका नकारा सिस्टम उसके हौंसले को तोड़कर रख देना चाहता है इसी लिए उसे रुला रहा है। पूछिए तो सही घनसाली तहसील के श्रीकोट गांव के रहने वाले गौतम नेगी को जिसने रिवर्स माइग्रेशन की कोशिश की। खाली होते पहाड़ में रंग भरने की कोशिश की, अच्छी खासी विदेश की नौकरी छोड़ कर पहाड़ी नगर चमियाला में डेयरी उद्योग लगाने की कोशिश की लेकिन सूबे में सरकारी सिस्टम ने युवा गौतम को रोने को मजबूर कर दिया है।