किच्छा (मोहम्मद यासीन)- उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम ने उत्तराखंड में हुए निर्माण कार्यों में क्या क्या गुल खिलाए इसका खुलासा परत दर परत होने लगा है।
आलम ये है कि UPRNN ने जो निर्माण कार्य सिडकुल की निगरानी में किए हैं उनकी काबिलियत का कच्चा चिट्ठा हर रोज खुल रहा है।
किच्छा विधानसभा क्षेत्र में भी UPRNN के बनाए पुल ने सिडकुल की निगरानी पर सवालिया निशान लगा दिया है। दरअसल SIDCUL ने इलाके कई गांवों को जोड़ने के लिए एक पुल UPRNN के जरिए बनवाया। पुरानीमंडीसेपिपलियाचौराहेकोजोड़ने वाले इस पुल को इलाके में लोग रपटा पुल के नाम से जानते हैं। गोला नदी पर बना ये पुल अगर सही सलामत रहता तो इस पुल से शक्तिफार्म और किच्छा की दूरी काफी कम हो जाती। जिससे स्थानीय जनता को काफी सहुलियत मिलती।
लेकिन रपटा पुल पर UPRNN ने इतना शानदार गुणवत्ता वाला काम किया कि रपटा पुल का एक छोर 6 महीने में ही बरसात में बह गया। हालांकि पुल का अभी सिर्फ 90 फीसदी काम ही हुआ है। जबकि सिडकुल ने इस रपटा पुल के निर्माण के लिए यूपीआरएनएन के तीन करोड़ 70 लाख का टेंडर मंजूर किया था।
उधर पुल बहने के बाद और सीएम त्रिवेंद्र रावत के आदेश के बाद सिडकुल के हुए स्पेशल ऑडिट के बाद अब कहा जाने लगा है कि UPRNN ने रपटा पुल निर्माण में घटिया सामान का इस्तमाल किया था। ऐसे में सिडकुल की निगरानी में बने 700 मीटर लंबे रपटे पुल के पूर्वी छोर टूटने के बाद से सिडकुल के अफसरों के हाथ पांव फूले हुए हैं।
रपटा पुल के छोर टूटने की घटना सिडकुल और UPRNN के लिए गले की फांस बन गया है। दरअसल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए सिंचाई विभाग और लोकनिर्माण विभाग की संयुक्त टीम को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। ताकि पुल के छोर बहने के असली कारण का पता लग सके।
वहीं प्रशासन की माने तो अगर UPRNN के काम में गड़बड़ी पाई गई तो संस्था से नुकसान की पूरी वसूली की जाएगी।