ब्यूरो- उत्तराखंड के हर चौक चौराहों पर एक ही चर्चा है किसकी सरकार बनेगी। सबके सब अपने गणित लगा रहे हैं। कोई मोदी इफैक्ट की बात कर रहा है कोई हरीश रावत की चाल की बात कर रहा है। बहराहल टिहरी जिले की सबसे हॉट मानी जाने वाली सीट नरेंद्र नगर में क्या होगा इस पर सबकी नजरें बनी हुई हैं। उसकी वजह है ओमगोपाल रावत और सुबोध उनियाल जैसे नेताओं के सियासी भविष्य का सवाल।
रावत जहां उक्रांद की उपज हैं राज्य आंदोलनकरी हैं वहीं सुबोध उनियाल प्रशासनिक पकड़ वाले नेता माने जाते हैं। इस चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो दोनो विद्रोही नजर आते हैं। सुबोध ने जहां कांग्रेस से विद्रोह किया वहीं ओमगोपाल ने भाजपा से। चुनाव हारने के बाद तकरीबन 5 साल तक भाजपा के लिए क्षेत्र में काम करने वाले ओमगोपाल भाजपा के ही उम्मीदवार होते अगर 2016 के मार्च माह की हलचल न होती।
बहरहाल नरेंद्रनगर को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। नरेद्रनगर से ऊपर का ग्रामीण और कस्बाई इलाका, नरेंद्रनगर का पालिका क्षेत्र और ऋषिकेश से सटा ढालवाला का इलाका। कहा जा रहा है कि पूर्व विधायक ओमगोपाल का पहाड़ी क्षेत्र में बढ़िया दबदबा दिखा जबकि दो बार नरेंद्रनगर को फतह कर चुके सुबोध उनियाल का पालिका एरिया और ढालवाला इलाके मे जलवा कायम रहा। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार हिमांशु बिजल्वाण ने गजा के अंदरूनी इलाके और सुबोध उनियाल का गढ माने जाने वाले ढालवाला के शहरी क्षेत्र में हिमांशु ने भी काग्रेस सिंबल और अपनी व्यक्तिगत पहचान के चलते अच्छी सेंधमारी की है।
मतलब कभी टिहरी रियासत की राजधानी माने जाने वाले नरेंद्रनगर में जोरदार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है। वहीं जातीय समीकरणो की बात करें तो ओमगोपाल रावत ठाकुर बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं जबकि दोनो राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवार ब्राह्मण तबके से। ऐसे मे ये समीकरण क्या गुल खिलाएगा इसका पता 11 मार्च को ही चलेगा। हालांकि इतना तय है कि हिमांशु के पास खोने को कुछ नहीं सिर्फ पाने को है। जबकि पूर्व विधायकों के पास पाने को कम खोने को ज्यादा है।