कोटद्वार : पेशावर कांड के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली को वीर यू ही नहीं कहा जाता। उनकी वीरता के कायल भारतीय ही नहीं बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के शासक और दाऊद जैसे लोग भी थे। यही कारण है कि सरकार ने उनके सम्मान में गढ़वाली के नाम से डाक टिकट जारी करने के साथ ही कई मार्गो और योजनाओं का नाम भी उनके नाम पर ही रखा।
सट्टा-शेयर बाजार तक पहुंच रखने वाले दाऊद भी चन्द्र सिंह गढ़वाली का दिल से करते हैं सम्मान
आज हम आपको वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली से जुड़ी एक ऐसी कहानी बताने जा रहे है जिसके बारे में आज भी ज्यादातर लोग नहीं जानते। हा लेकिन कई वर्षों से मुंबई में निवास कर रहे उत्तराखण्ड के लोग इसके बारे में भलीभांति जानते हैं। मुंबई में एक बड़े बिजनेसमैन से लूट के बाद अंडरवर्ल्ड के डॉन बने दाऊद इब्राहिम को कौन नही जानता। लेकिन क्या आपको मालूम है फ़िल्म जगत के साथ ही सट्टा व शेयर बाजार तक पहुंच रखने वाले दाऊद भी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का दिल से सम्मान करते हैं।
मुम्बई में एक दुकान जिसके मालिक थे गढ़वाल निवासी
दरअसल जिस समय मुंबई में दाऊद का आतंक था उस समय मुंबई के जोगेश्वरी में धस्माना इलेक्ट्रॉनिक्स नाम से एक दुकान हुआ करती थी जिसके मालिक मूल रूप से गढ़वाल के ही रहने वाले थे। उनकी दुकान से दाऊद के कई आदमी सामान ले जाया करते थे और दाऊद की दहशत के कारण उस समय कोई भी व्यापारी दाऊद के आदमियों को सामान देने से मना नहीं कर पाता था। लेकिन बार-बार ऐसा होने पर धस्माना नुक्सान में आ गए और उन्होंने बड़ी हिम्मत करके इस संबंध में दाऊद से मिलना चाहा। जैसे तैसे करके वह दाऊद तक तो पहुंचे और डरते हुए उन्होंने अपनी बात रखी तो दाऊद ने उनकी बात को अनसुना कर दिया और बोला में इसमे तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।
ये सुनते ही दाऊद ने पूछा क्या तुम वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को जानते हो
आखिर में दाऊद ने जब उनका नाम सुनकर कहा कि तुम मुंबई के तो नहीं हो…यहां धस्माना तो नहीं होते। तुम रहने वाले कहा के हो, इस पर व्यापारी ने डरते हुए बताया कि वो उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रहने वाले हैं। ये सुनते ही दाऊद ने पूछा क्या तुम वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को जानते हो? इसपर व्यापारी ने कहा कि जी में मूल रूप से उसी जनपद का रहने वाला हूं। ये सुनते ही दाऊद ने उन्हें सम्मान के साथ बैठाकर तुरंत अपने लोगों से कहा कि आज तक इनकी दुकान से जो कुछ भी लिया उसका पूरा पैसा इसी समय इन्हें दो और इन्हें सम्मान के साथ घर तक छोड़कर आओ। दाऊद ने तब खड़े होकर और हाथ जोड़कर कहा की पठान होने के नाते हम सभी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की दिल से इज्जत करते हैं क्योंकि उन्होंने 1930 में अंग्रेजों के आदेश के बाद भी निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से मना कर दिया था। इसके बाद फिर कभी दाऊद के किसी भी आदमी ने धस्माना की दुकान से इस तरह सामान लेने हमेशा के लिए बन्द कर दिया था।
उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा उनको अतिक्रमणकारी भी घोषित कर दिया गया
इस तरह दाऊद ही नहीं पूरा पठान समाज भी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का दिल से सम्मान करता है। लेकिन हैरत की बात तो ये है कि आज भी उनके वंशज अपने ही ग्रह जनपद के कोटद्वार में चाय बेचकर अपना पेट पालने को मजबूर हैं. लेकिन उनकी सहायता के लिए अब तक कोई ठोस कदम नही उठाया गया।जो जमीन उनको मिली थी अब उनके परिजनों को अतिक्रमण का हवाला देते हुए खाली करने को कहा गया है.अब उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा उनको अतिक्रमणकारी भी घोषित कर दिया गया।
मामला पेशावर कांड के महानायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के परिजनों से जुडा है जिनको उत्तरप्रदेश वन विभाग ने अतिक्रमणकारी घोषित कर पूरे देश का सिर शर्म से झुका दिया है.
उनके परिजनों को किया अतिक्रमणकारी घोषित
वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली एक ऐसा नाम जिसने जंगे आजादी की लड़ाई के दौरान 30 अप्रैल 1930 के पेशावर में ब्रिाटिश हुकुमत के खिलाफ खुला सैनिक विद्रोह कर अग्रेजों को हिलाकर रख दिया था .लेकिन अफसोस उसी वीर चन्द्र सिह गढ़वाली की वीरता को आजादी के बाद ऐसा सम्मान दिया कि उनके परिजनों को अतिक्रमणकारी ही घोषित कर दिया गया.
लड़ाई के दौरान वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की पुस्तैनी जमीनों को अंग्रेजों ने कर दी थी कुर्की
दरअसल जंगे आजादी की लड़ाई के दौरान वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की पुस्तैनी जमीनों को अंग्रेजों ने कुर्की कर दी थी.लेकिन देश की आजादी में अहम् योगदान को देखते हुए अभिभाजित उत्तरप्रदेश सरकार ने वीर गढ़वाली को कोटद्वार के निकट हल्दूखाता में कृषि से आजीविका चलाने के लिए 1975 में 10 एकड़ वनभूमि 90 सालों के लिए लीज पर दी थी. लेकिन 1 अक्टूबर 1979 को वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के देहांत के बाद यह लीज का बिषय उलझ कर रह गया.हालांकि इस दौरान वीर गढ़वाली के परिजनों ने शासन से लेकर प्रशासन तक के हजारों चक्कर काटें लेकिन उनकी एक नही सुनी गई.