देहरादून,संवाददाता- बंदर हों हाथी हों नीलगाय या सेही सुअर और गुलदार आबादी में इसलिए दाखिल हो रहे हैं कि जंगल के भीतर मौजूद फूड चेन खाना न होने की वजह से टूट गई है। बंदरों को हिरनों को नीलगाय को जंगल में न खाने को मिल रहा है न पीने लिहाजा वे आबादी की सरहद में दाखिल होने को मजबूर हैं। जबकि गुलदार उनकी तलाश में आबादी के निकट पहुंच रहा है। मजबूर भूखे जानवर इंसानी आबादी में अपना निवाला तलाश रहे हैं। मोटी पगार लेने वाले जंगलात के अधिकारी सुन्न पड़े हुए हैं उन्हें न जंगल की फिक्र है न भूखे जानवरों की और न उस आबादी की जो जंगली जानवरों के मिजाज को नहीं समझ पाती। हालांकि चुनावी साल में सूबे के मुख्यमंत्री ने जंगलात के अधिकारियों को हिदायत दी है कि जंगली जानवरों को जंगलों में ही भोजन मिले इसकी व्यवस्था के लिए वहां रिंगाल, बांस और एेसे पेड़ों के बीजों का रोपण किया जाए जिनसे जानवरों की भूख मिट सके और जंगल की फूड चेन बरकरार रहे। साथ ही सीएम ने अधिकारियो को कहा कि जंगलों से गुजरने वाली रेलवे लाईन पर जंगली जानवरों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिये पिटकुल और रेलवे के साथ ही उत्तर-प्रदेश के अधिकारियों से वार्ता कर कार्ययोजना बनाई जाए। सचिवालय मे उत्तराखण्ड राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक मे सीएम ने राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्रों में जंगली जानवरों के लिए कोरीडोर बनाने के साथ ही संरक्षित वन क्षेत्रों के अन्तर्गत 10 किमी की परिधि में आने वाले वनभूमि से सम्बंधित विद्युत, सड़क, नदियों के चुगान आदि से सम्बंधित विभिन्न प्रस्तावों की भी स्वीकृति प्रदान की वहीं इस बैठक में वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरों के गठन पर भी सीएम ने सहमति जताई निर्णय लिया गया कि इसमें पुलिस विभाग डेपुटेशन पर कार्मिकों की व्यवस्था करेगा। हालांकि ऐसा होगा या नहीं ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो इंसानी आबादी और जंगली जानवरों दोनों अपनी सरहदों में महफूज रहेंगे।