और अगर किसी सरकारी कर्मचारी के लिए विभाग की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं होती तो सत्र समाप्त होते वह अपनी जेब से ढाई से तीन हजार रुपये खर्च कर चुका होता है।
सरकार ने कर्मचारियों के ग्रेड वेतन के हिसाब से उनका दैनिक डीए तय किया हुआ है। इसके तहत प्रदेश के देहरादून, नैनीताल व पौड़ी के शहरी क्षेत्र के लिए 4800 रुपये से कम ग्रेड पे वालों के लिए 150 रुपये भत्ता दिया जाता है। अन्य जिला मुख्यालयों के लिए यह राशि 100 रुपये है तो शेष स्थानों के लिए मात्र 80 रुपये।
गैरसैंण न तो शासनादेश में उल्लिखित मुख्य शहरों में आता है और न ही जिला मुख्यालय में। इस कारण यहां के लिए केवल 80 रुपये ही भत्ता दिया जाता है।
सत्र के दौरान कर्मचारियों पर ही इसकी सबसे अधिक मार पड़ती है। सत्र जितना लंबा चलता है कर्मचारियों को अपनी जेब से उतना ही अधिक खर्च करना पड़ता है। कहने को तो सत्र के दौरान सरकार ही कर्मचारियों के रहने व खाने की व्यवस्था करती है, लेकिन सीमित जगह व सीमित संसाधनों के कारण सभी कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है।
इस बार गैरसैंण में बजट सत्र होना है। इसके काफी दिनों तक चलने की संभावना है। बजट सत्र में चूंकि सभी विभागों के बजट पेश होने हैं तो इस बार निश्चित रूप से सभी विभागों से अधिक संख्या में अधिकारी व कर्मचारी गैरसैंण पहुंचेंगे। इन सभी को इसी समिति भत्ते में अपनी गुजर बसर करनी होगी।
हालांकि, यह भत्ते अभी छठवें वेतनमान के हिसाब से दिए जा रहे हैं, सातवें वेतनमान के हिसाब से इन भत्तों को बढ़ाने के लिए कवायद चल रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि जो व्यवस्था बनी है उसी हिसाब से कार्य किया जाएगा।