देहरादून- उपखनिज और खनन पर हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद टीएसआस सरकार चौकन्नी दिखाई दे रही है। वैसे भी कहा गया है दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है।
दरअसल अवैध खनन से हुई बर्बादी और प्रशासन की चुप्पी के चलते ही जनहित याचिका पर सूबे की सरकार को हाईकोर्ट से फटकार ही नहीं बल्कि चार महीने तक कारोबार बंद करने की नसीहत भी मिली थी।
लिहाजा अबकी बार ऐसा न हो इसलिए टीएसआर सरकार ने अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कड़े काएदे कानून बनाने से लेकर निगरानी तक के लिए टास्क फोर्स बनाने का इंतजाम कर दिया है।
जिला स्तर पर अवैध खनन रोकने के लिए टास्क फोर्स का गठन डीएम की अध्यक्षता में होगा जबकि प्रदेश स्तर पर निदेशक खनन इसके मुखिया होंगे।
निदेशक खनन की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स में एक ASP, एक इंस्पैक्टर, 2 सब इंस्पैक्टर, 2 हैड कास्टेबल, और 10 कांस्टेबल होंगे।
अवैध खनन पर पूरी तरह से बंदिश के लिए सीएम त्रिवेंद्र रावत के निर्देश पर राज्य के मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अब कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी
- निजी भूमि पर नए पट्टे और खनिज संग्रहण के परमिट फिलहाल जारी नहीं होंगे। इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
- अवैध खनन मे लिप्त वाहनों को तत्कला प्रभाव से जब्त किया जाएगा जबकि वाहन के परमिट को निरस्त किया जाएगा और वाहन चालक के लाइसेंस पर भी निलंबन और निरस्तीकरण की कार्यवाही की जाएगी
- अवैध खनन को बढ़ावा देने वाले खनिज भंडारण और स्टोन क्रेशर पर गाज गिराते हुए उसे सील कर दिया जाएगा
- वहीं जो वाहन अवैध खनिज में लिप्त पाए जांए उनके मालिको और चालको को सिर्फ चालन करके न छोड़ा जाए बल्कि उनके खिलाफ चार्ज शीट बनाते हुए एफआईआर दर्ज कराई जाए।
बहरहाल बड़ा सवाल ये है कि क्या इन आदेशों पर अमल हो पाएगा? क्योंकि बिना मजबूत इच्छा शक्ति के जायज चुगान का काम कब अवैध खनन बन जाता है इसका पता जनता को चल जाता है लेकिन जिम्मेदारों को नहीं।
ऐसे में देखना ये दिलचस्प होगा कि, अवैध कारोबारियों की निगाह से सीएम टीएसआर की टीम नदी-नालों और पहाड़ो को बचा पाती है या नहीं।