देहरादून- टीएसआर सरकार भी फार्म में आने लगी है। पहाड़ की सबसे बड़ी तकलीफ तालीम और सेहत के सवाल का उत्तर ढ़ूंढने की कवायद में टीएसआर सरकार जुटने लगी है।
खबर है कि पिछली सरकार में पहाड़ी जिलों मे तैनात जिन डाक्टरों को मैदान में उतारा गया है उनकी सूची और जो सालों से पहाड़ की सेवा कर रहे हैं उनकी सूची तैयार की जा रही है।
माना जा रहा है कि अगर सब कुछ टीएसआर की सोच के मुताबिक हुआ तो पहाड़ों के बिना सहूलियत के आभाव में रैफर सेंटर बन चुके अस्पतालों में भी ईलाज हो सकेगा। होगा क्या ये तो आने वाल वक्त ही बताएगा बहरहाल टीएसआर के तेवर तो तल्ख हैं।
बस देखना ये है कि सीएम के फैसले से चिकित्सकों के नेताओं पर कितना असर पड़ता है। वे अपने पेशे की मूल भावना का सम्मान करते हैं या नेतागिरी करके सरकार के भाव को पराजित करते हैं।
बहरहाल मैदानी जिलों के सीएमओ से लेकर डाक्टर तक बदलने की कवायद के लिए शासन स्तर पर मंथन जारी है। निदेशालय से प्रस्ताव मांगा गया है ताकि मैदानी अस्पताल में तिकड़मों से टिके चिकित्सकों की सेवा चेक हो सके।