सेना की जीप पर एक कश्मीरी युवक को बांध कर घुमाए जाने का वीडियो वॉयरल होने के बाद अब उस शख्स से जुड़ी पूरी सच्चाई सामने आ गई है। तफ्तीश में ये साफ हो गया है कि सेना ने जिस शख्स को जीप पर बांध कर घुमाया था वो पत्थर बाज नहीं था। उसका नाम फारुख अहमद डार है और उसकी उम्र तकरीबन पच्चीस साल है। फारुख ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में दावा किया है कि वो पत्थरबाजों की जमात में शामिल नहीं है। फारुख ने कहा है कि उसने कभी पत्थर नहीं उठाया। वो शाल पर कढ़ाई का काम करता है और थोड़ी बहुत बढ़ईगिरी का काम भी कर लेता है। फारुख जीप पर बांधे जाने की घटना के बाद से ही खासा परेशान है। ये पूछे जाने पर कि उसने सेना की शिकायत क्यों नहीं की, फारुख ने कहा कि ‘गरीब लोग हैं, क्या शिकायत करेंगे।’
अखबार के हवाले से बताया गया है कि फारुख को सेना के जवानों ने मारा और उसे जीप पर बांध कर लगभग 25 किलोमीटर तक घुमाया। फारुख को सेना ने उसके एक रिश्तेदार की मौत पर मोटरसाइकिल से श्रीनगर जाते समय पकड़ा था। फारुख ने बताया है कि सेना के जवानों ने उसे जीप पर बांध दिया और घुमाते समय जोर जोर से चिल्लाते हुए कहते रहे कि अब कोई किसी अपने को पत्थर नहीं मारेगा। पिटाई से फारुख के हाथ में चोट आई है और वो अपना काम नहीं कर पा रहा है। फारुख अपनी 75 साल की मां के साथ अकेला रहता है। फारुख की मां भी इस मामले में अब कोई जांच नहीं चाहती है। उसे डर है कि वो अपने बुढ़ापे का आखिरी सहारा भी ना खो दे।
फारुख की माने तो तकरीबन चार बजे उसे सेना के एक कैंप में ले जाया गया। वहां उसे चाय पिलाई गई और फिर उसके गांव के सरपंच को सौंप दिया गया।