उत्तराखंड की राजनीति को देखने समझने वाले सभी लोगों को पता है कि राजनीति की मुख्यधारा से दूर पड़े हुए एक व्यक्ति को अचानक मुख्यमंत्री बनने के बाद रातों रात उसके गले में हाथ डाल कर किसने चमकाया। हर मीटिंग में हर सभा में वो एक बड़ा नेता न होते हुए भी मुख्यमंत्री के बगलगीर रहता था।
- Advertisement -
पिक्चर से कम नहीं है चाउमीन की दुकान से देहरादून शहर का महापौर बनने की गामा की कहानी
चाउमीन की दुकान से उठकर देहरादून शहर का महापौर बनने तक की सुनील उनियाल गामा की कहानी किसी पिक्चर से कम नहीं है। कृष्ण सुदामा वाली कहानी को चरितार्थ करते हुए मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद भाजपा में कभी विधायक तो छोड़ जिला स्तर पर भी किसी पद पर रहने का ना सुनील उनियाल गामा ने और ना ही किसी और ने कभी सोचा था
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के हर कार्यक्रम में बगलगीर दिखाई दिए गामा
त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनते ही गामा उनके हर कार्यक्रम में बगलगीर दिखाई देने लगे। बड़े बड़े नाम और चेहरों को पछाड़ कर , अनिल गोयल और पुनीत मित्तल जैसे पार्टी संगठन में बैठे बड़े बड़े पदाधिकारियों को पछाड़ कर गामा अगर मेयर पद के दावेदार बन कर मेयर बने तो सिर्फ और सिर्फ तत्कालीन मुख्यमंत्री और अपने अनन्य मित्र त्रिवेंद्र सिंह रावत की बदौलत।
विकेश सिंह के खुलासे से खुला गामा की तमाम सम्पत्तियां अर्जित करने का राज
गामा के मेयर बनने के बाद ही गामा के द्वारा तमाम सम्पत्तियां अर्जित करने की बात पत्रकार और विधायक उमेश कुमार ने उठायी थी। मगर तत्कालीन सत्ता में उमेश पर तमाम मुक़दमे दर्ज हो गए। जिनसे सुप्रीम कोर्ट तक से उमेश कुमार बाइज्जत बरी हो गए।
- Advertisement -
मगर गामा और उनके परिवार के साम्राज्य विस्तार मित्र की सत्ता की छत्रछाया में कब हुआ पता ही नहीं चला। ये तो देहरादून के वकील और आरटीआई कार्यकर्त्ता विकेश सिंह ने जब प्रेस कांफ्रेंस करके मेयर गामा की शिकायत प्रदेश के सतर्कता विभाग में की तब इस बात का लोगों को पता चला।
हालंकि मेयर गामा ने आज मीडिया से कहा की उनकी सम्पत्तियों का बाजार दाम बढ़ा है। उन्होंने अपनी पुरानी सम्पत्ति बेच कर नयी खरीदी है । मगर 6 समपत्तियों से 14 सम्पत्तियां कैसे हो गयी। इन सबका जवाब गामा जी नहीं दे पाए।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने मित्र को बोलें कि एक श्वेत पत्र करें जारी
अब क्यूंकि गामा को मेयर बना कर उनका कद ऊँचा करके शहर के प्रथम नागरिक बनाने के काम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने कार्यकाल को भ्रष्टाचार मुक्त बताते हैं।
तो ऐसे में जरूरी है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने मित्र मेयर सुनील उनियाल को बोलें कि वो अपनी सम्पत्तियों पर एक श्वेत पत्र जारी करे। गामा एक श्वेत पत्र जारी करके जनता को और अपनी पार्टी को वस्तुस्थिति बताएं। ऐसा करके ही त्रिवेंद्र सिंह रावत और मेयर गामा के साथ ही भाजपा की छवि साफ़ रह पायेगी।