आशीष तिवारी। ट्रांसपोर्ट कारोबारी प्रकाश पांडेय की मौत के बाद उनके परिजनों को मुआवजे का ऐलान करना सरकार का ‘जुमला’ था या फिर डैमेज कंट्रोल का ‘इमोशनल हथकंडा’ ये बेहतर तो सरकार ही बता सकती है लेकिन ये जरूर है कि वादे से सरकार का पलटना उसकी फजीहत करा रहा है। प्रकाश पांडे की मौत से उपजे तनाव को कम करने के लिए सरकार ने बड़ी ही ‘प्रशासनिक चतुराई’ से नैनीताल के डीएम से 12 लाख रुपए मुआवजे और परिवार के एक शख्स को नौकरी देने का वादा करवा दिया। कुछ ही घंटों में सरकार के प्रवक्ता ने सरकार के ‘मेमोरी लॉस’ का खुलासा कर दिया। सरकार के प्रवक्ता ने बोझिल मन से पत्रकारों का सवाल सुना औऱ दावे के साथ बताया कि सरकार ने कोई वादा किया ही नहीं किया। तो इस प्रकार सिद्ध हुआ कि बहुमत की सरकार की मेमोरी लॉस की बीमारी उसका वेट लॉस कर देती है।
इस घटना के बाद बीजेपी सरकार और संगठन कशमकश में आ गया है। बेदम विपक्ष को संजीवनी देती त्रिवेंद्र सरकार की कारगुजारियां संगठन के सामने परेशानियां खड़ी कर रहीं हैं। लोग हैरान हैं कि प्रकाश पांडेय को पीएम के दफ्तर से दिलासा आ गया लेकिन डबल इंजन को स्टार्ट करके देहरादून से डोईवाला के बीच पूरी रफ्तार से दौड़ा रहे सीएम दरबार को सुध नहीं आई। आखिर सीएम साहब ऐसी किस व्यस्तता में व्यस्त हैं कि मरते हुए शख्स की पुकार भी नहीं सुन पाए। इस बीच बीजेपी के विधायक बंशीधर भगत ने खत लिखकर बताया है कि उन्होंने सीएम के कहने पर ही मुआवजे का दिलासा दिया है। हालांकि गोलमाल देखिए कि भगत जी भी नौकरी के आश्वासन को गोल कर गए।
सरकार भी सहज होगी ये कहना मुश्किल है। ये देश का शायद इकलौता ऐसा राज्य होगा जहां एक शख्स सूबे के सबसे बड़े हाकिम को पूर्व सूचना देकर आत्महत्या कर गया। उसके मरने के बाद हाकिम ने चुपके से अपने वादे को जुमले में तब्दील कर दिया। हाकिम ने अब मजिस्ट्रेट से जांच का दिलासा दिया है। दिलासा रखिए रिस्पना नदी बिना सीवर रोके, अतिक्रमण हटाए ही एंजाइम से साफ हो जाएगी।