देहरादून : उत्तराखंड को हड़ताली प्रदेश के तमके से बाहर लाने को लेकर त्रिवेंद्र सरकार ने जो ढृढ़ता दिखाई थी उस पर अमल होना भी शुरू हो गया है…हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों को सबक सिखाने के लिए सरकार ने जो नो वर्क नो पे का नियम लागू किया है उसका असर दिखाई दिया जिससे राज्यकर्मचारियों में खौफ का माहौल है।
उत्तराखंड को हड़ताली प्रदेश से उभारने का जिम्मा त्रिवेंद्र सरकार ने अपने कंधों पर लिया
उत्तराखंड को हड़ताली प्रदेश से उभारने का जिम्मा त्रिवेंद्र सरकार ने अपने कंधों पर लिया है. राज्य में जब से त्रिवेंद्र सरकार आई है कर्मचारी संगठनों की बेबुनियादी हड़ातालें कम देखने को मिली है, पहले राज्यकर्मचारी आए दिन किसी न किसी मांग को लेकर हड़ताल पर रहते थे, लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के साथ ही मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया था कि हड़ताल से आम जनता को परेशान नहीं होने दिया जाएगा और कर्मचारी हड़ताल करेंगे तो सरकार उन पर कार्रवाई करेगी. इसी को देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार नो वर्क नो पे को कैबिनेट से पास करा लेती है, जिसके तहत हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों को हड़ताल के दिन का वेतन नहीं दिया जाएगा और अब ये प्रदेश में पूर्ण रूप से लागू हो चुका है और इसका असर 31 जनवरी को सामूहिक हड़ताल पर रहने वाले कर्मचारियों के वेतन में कटौती के रूप में देखा जा रहा है.
वेतन काटने पर शासन स्तर पर चल रहा है मंथन
जी हां जो कर्मचारी 31 जनवरी को सामूहिक हड़ताल पर रहे है उनका वेतन काटने पर शासन स्तर पर मंथन चल रहा है और इसी के चलते उत्तराखंड में पहली 18 सालों में कर्मचारियों का वेतन माह 4 दिन गुजरने के बाद भी नहीं आया है। सचिवालय संघ के महासचिव राकेश जोशी का कहना कि सरकार ने आश्वासन दिया है कि कर्मचारियों का अहित नहीं होने दिया जाएगा और इसी के चलते उन्हें आशा है कि किसी भी कर्मचारी को वेतन नहीं काटा जाएगा लेकिन ये भी पहली बार हुआ है कि जब हड़ताल के बाद पूरे महीने के वेतन आने में समय लग रहा है।
मुख्य सचिव का बयान
वहीं पूरे मामले को लेेकर मुख्य सचिव का कहना कि हड़ताल से पहले जो नो वर्क नो पे का निर्देश जारी हुआ था सभी पहलुओं को देखा जा रहा है और जो भी तथ्य सामने आएंगे उनको देखने के बाद नियमानुसार कार्यवाही की जाएंगी।
मुख्य सचिव के बयान से कुछ हद तक स्पष्ट हो जाता है कि शासन के द्धारा जो निर्देश जारी किए गए थे…उसके बाद के पहलुओं को गहनता से देखा जा रहा है. यानी नो वर्क नो पे पर मुहर लगानी है या नहीं, उसके बाद महीने का वेतन जारी किया जाएगा. ऐसे में देखना ये होगा कि त्रिवेंद्र सरकार नो वर्क नो पे को सख्ती से पहली बार लागू करती है या सामूहिक आवकाश में शामिल कर्मचारियों पर दिल पिघलाकर उस वेतन जारी कर देती है।