टिहरी, (हर्षमणि उनियाल) – टिहरी से गड़ोलिया होते हुए श्रीनगर गढ़वाल का सफर करना हो तो संभल कर करिएगा। चाहे आप निजी वाहन से हों या फिर सरकारी वाहन से इस सड़क पर सफर करते हुए सलामती की दुआ करनी पड़ती है।
आलम ये है कि जनता की सेवा के लिए बनाया गए लोकनिर्माण और परिवहन विभाग की सारी मेहरबानी सड़क बनाने वाले ठेकेदार पर बरस रही है। इस सड़क पर महकमों की लापरवाही से मुसाफिर चोटिल हो जाएं या उनकी जान चली जाए विभाग को इससे कोई सरोकार नहीं है।
जी हां ये बात इस लिए कही जा रही है कि कई महीनों से इस सड़क का चौड़ीकरण का काम जारी है। सड़क पर इस्तमाल की जाने वाली निर्माण सामग्री की गुणवत्ता को लेकर तो स्थानीय मुसाफिर और वाहन चालक कई बार सवाल उठा ही चुके हैं। वहीं अब सुरक्षा सूचक न होने को लेकर भी नाराजगी झलकने लगी है। निर्माणाधीन सड़क और उस पर बने पुलिया में लगे लोहे के सरिये और सड़क पर मौजूद गड्ढे हादसों का न्यौता दे रहे हैं।
बावजूद इसके पूरे सफर में कही भी वाहन चालकों को सूचित करने के लिए सड़क बनाने वाले ठेकेदार ने सुरक्ष सूचक चिह्नों का इस्तमाल नहीं किया है। टैक्सी चालकों की माने तो टिहरी से गडोलिया होते हुए श्रीनगर पहुंचना मौत की सड़क पर सफर करना जैसा है।कहीं भी वाहन चालक को ये पता नहीं चलता कि एक किलोमीटर बाद मोड़ है या हादसे का सबब बनने को कोई गड्ढा किसी वाहन का इंतजार कर रहा है।
कार्य प्रगति पर है लिहाजा कष्ट के लिए खेद प्रकट करना भी विभाग ने जरूरी नहीं समझा। इतनी घोर लापरवाही बरतने पर भी लोकनिर्माण विभाग और परिवहन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जबकि जिंदगियां जोखिम लेकर सफर करने को मजबूर हैं।