देहरादून : उत्तराखंड में पलायन एक गहरी चोट है। उत्तराखंड में पिछले सात वर्षों में 700 से ज्यादा गांव खाली हो गए हैं, 10 वर्षों में 3.83 लाख से अधिक लोगों ने अपना गांव छोड़ दिया है. इनमें 50 प्रतिशत लोगों ने आजीविका की तलाश में पलायन किया है. बता दें कि यह डाटा पिछले दस वर्षों में राज्य में पलायन की स्थिति पर आयोग की रिपोर्ट का हिस्सा है, जिसे मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक निवास से जारी किया था
वहीं लेकिन सरकार ने अब पलायन को रोकने औऱ पहाड़ों में वहीं रौनक लौटाने के लिए अहम कदम उठाए हैं जिसमे से एक है होमस्टे की जोयना जिसके तहत होमस्टे को लेकर व्यापार करने वालों को सरकार आसानी से लोन उपलब्ध कराएगी।
होमस्टे के लिए लोन की व्यवस्था आसान की गई-दिलीप जावलकर
वहीं होमस्टे को लेकर जानकारी देने के लिए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने प्रेसवार्ता की. दलीप जावलकर ने बताया कि होमस्टे के लिए लोन की व्यवस्था आसान की गई है. पहले लोन लेने मे परेशानी हो रही थी जिसे अब आसान कर दिया गया है. बताया कि 10 लाख तक के लोन पर बैंक द्वारा ज्यादा परेशानियां ना हो इसकी व्यवस्था की गई है जिसके साथ होमस्टे के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
एजेंसी तय करेगी कि होमस्टे में कैसी सुविधाएं दी जा रही है- पर्यटन सचिव
पर्यटन सचिव ने बताया कि गढ़वाल मंडल और कुमांउ मंडल के लिये एक एजेंसी को सत्यापन की जिम्मेदारी दी गई है. एजेंसी होमस्टे में सुविधाओं-सर्विस को देखते हुए होमस्टे को ग्रेड देगी. पर्यटन सचिव ने बताया कि पर्यटन विभाग होमस्टे के लिए मार्केटिंग की व्यवस्था भी की है. सरकारी कर्मचारी अगर सरकारी कार्य से किसी होमस्टे में रुकते हैं तो उसे भत्ता मिलेगा. वहीं मार्केटिंग के लिए मैक माई ट्रिप के साथ एक एमओयू साइन किया गया है, ताकि होमस्टे को मार्केट दिलाया जा सके..