नवरात्र का आज दूसरा दिन है। आज मां के भक्त उनके दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करके उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। मां के नाम का पहला अक्षर ब्रह्म होता है जिसका मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना। मां ब्रह्मचारिणी ने अपने दाएं हाथ में माला और अपने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया हुआ है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए एक हजार वर्ष तक कठोर तपस्या की थी। इस दौरान मां ने फल-फूल खाकर बिताए और हजारों वर्ष तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की। जिसकी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरुप की पूजा अर्चना करता है उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कैसे मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए किस विधि और मुहूर्त में उनकी पूजा करनी चाहिए।