बड़े पर्दे पर इन कई अभिनेत्रियों ने मां के गरिमा को और भी समृद्ध किया है। कई पीढियां इन चेहरे में अपनी-अपनी मांओं को देखते हुए बड़ी हुई हैं। वाकई यह कहना गलत न होगा कि इन मांओं का भी कर्ज आसानी से नहीं उतरने वाला! बॉलीवुड की एक ऐसी ही चर्चित मां हैं -निरूपा रॉय। आज वो हमारे बीच होती तो 86 साल की होतीं! आइये उनके जन्मदिन 4 जनवरी पर जानते हैं उनके बारे में कुछ ख़ास दिलचस्प बातें!
कभी-कभी एक्टरों के निभाए कुछ किरदार लोगों के दिलों में इस कदर रच-बस जाते हैं कि वो उनकी असल ज़िंदगी का हिस्सा बन जाते हैं। निरूपा रॉय ने अपने करियर में जितनी भी फ़िल्में कीं उनमें से ज्यादातर में वो मां के किरदार में ही नजर आईं! निरूपा रॉय ने 1-2 नहीं बल्कि 16 फ़िल्मों में मां बनी। 50 के उस दशक में निरूपा रॉय को धार्मिक फ़िल्मों की रानी माना जाता था। एक्टर त्रिलोक कपूर के साथ उन्होंने दर्जनों धार्मिक फ़िल्में कीं।
निरूपा राय का असल नाम कोकिला था
निरूपा राय का असल नाम कोकिला था। इनके पिता रेलवे में काम किया करते थे। निरूपा राय ने कक्षा 4 तक पढ़ाई की। उसके बाद इनकी शादी मुंबई में कार्यरत राशनिंग विभाग के एक कर्मचारी कलम राय से हो गई और इसके बाद वह मुंबई ही आ गईं। ये वही दिन थे जब बॉलीवुड निर्देशक बी एम व्यास अपनी नई फ़िल्म ‘रनकदेवी’ के लिए एक नए चेहरे की तलाश कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने अखबार में एक विज्ञापन भी दिया।
निरूपा राय के पति फ़िल्मों में अभिनेता बनना चाहते थे। अपनी पत्नी को लेकर वह बीएम व्यास के पास पहुंचे और उनसे एक्टर बनने की अपनी इच्छा का इजहार किया। बीएम व्यास ने उनको साफ इंकार कर दिया, लेकिन कहा कि अगर उनकी पत्नी फ़िल्मों में आना चाहे तो वह उन्हें काम दे सकते हैं। आगे जानिये कुछ और दिलचस्प बातें..
150 रुपये महीने के वेतन पर किया काम
रनकदेवी’ में 150 रुपये महीने के वेतन पर वह काम करने लगीं, लेकिन बाद में उनको फ़िल्म से अलग कर दिया गया। इसके बाद इन्होंने अपने कॅरियर की असल शुरुआत 1946 में आई गुजराती फ़िल्म ‘गुणसुंदरी’ से की। इसके बाद उन्होंने 1948 में आई हिंदी फ़िल्म ‘हमारी मंजिल’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखा
‘हर हर महादेव’ में भी आईं नजर
1951 में निरूपा राय एक और महत्वपूर्ण फ़िल्म ‘हर हर महादेव’ में भी नजर आईं। फ़िल्म में उन्होंने देवी पार्वती की भूमिका निभाई। इस फ़िल्म की सफलता के बाद वह दर्शकों के बीच देवी के रूप में प्रसिद्ध हो गईं। 1951 में आई फ़िल्म ‘सिंदबाद द सेलर’ में निरूपा राय ने नकारात्मक चरित्र भी निभाया। यह देखिये उनके एक यंग लुक की एक तस्वीर!
मां के रोल के लिए सिर्फ निरुपमा की ही कल्पना
फ़िल्मों में मां के चरित्र को इन्होंने अपने रूप में ऐसा जीवंत किया कि उसके बाद से अगर कभी कोई मां के रूप की कल्पना तक करता तो उसके आंखों के सामने निरूपा राय का चेहरा उभरता। ‘दीवार’ फ़िल्म से शशि कपूर का वो फेमस संवाद भला कौन भूल सकता है- ‘मेरे पास मां है’।
13 अक्टूबर 2004 को निरूपा का हुआ निधन
13 अक्टूबर 2004 को निरूपा का निधन हो गया था! हाल में उनक एडोनों बच्चे प्रोपर्टी पर विवाद के कारण ख़बरों में रहे। लेकिन, इन सबके बीच यह कहना गलत न होगा कि निरूपा रॉय के मां के रूप में निभाए गए किरदार हमेशा याद किये जाते रहेंगे!