सतपुली। कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामे पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज का भारी-भरकम रुतबा सिटिंग विधायक तीरथ सिंह रावत को लील गया। सिटिंग विधायक होने के बावजूद पार्टी ने उनके टिकट पर कैंची चला दी। पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के कंधे पर सवार तीरथ अभिभाजित उप्र में एमएलसी बने और राज्य गठन के बाद अंतरिम सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री रहे। पहले चुनाव में पौड़ी से विजय हासिल की और बाद में सीट आरक्षित होने के कारण पिछले विस चुनाव में चौबट्टाखाल के विधायक बने। पिछली बार भाजपा क्षत्रपों की लड़ाई में खंडूड़ी के खास होने का फायदा मिला और प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर भी विराजमान हुए।
पिछले कुछ समय से तीरथ की खंडूड़ी विरोधी खेमे से नजदीकी और उनके खास लोगों की उपेक्षा करने के चलते वह खंडूड़ी के रडार पर आ गए थे। माना जा रहा है कि इस सीट पर तीरथ से पहले कांग्रेस पार्टी में रहकर दो बार नेतृत्व कर चुकीं अमृता रावत के पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज को एडजस्ट करने के लिए भी केंद्रीय नेतृत्व को तीरथ के टिकट पर कैंची चलानी पड़ी। भाजपा के आंतरिक सूत्रों की मानें तो कुछ खास लोगों के संपर्क में रहने और उन्हें विधायक निधि का वितरण के चलते भी कार्यकर्ताओं का एक धड़ा उनसे नाराज होकर सदैव दूरी बनाए रहा और इसकी शिकायत केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाता रहा। यही कारण रहा कि भाजपा के विभिन्न धड़ों द्वारा तीरथ के खिलाफ माहौल तैयार कर उनके विरोध में नए चेहरे उतारने की तैयारियां कीं जाती रहीं। हालांकि, अपने टिकट के प्रति आश्वस्त तीरथ सिंह रावत ने क्षेत्र में जुड़े रहने के लिए देहरादून का मोह त्याग सतपुली में भी तीन मंजिला घर बना लिया था।