चम्पावत: देश पर कुर्बान हुए चम्पावत के लाल राहुल की पिछली तीन पीढ़ियां देश सेवा में जुटी हैं। 2012 में फौज में भर्ती हुए राहुल की पहली तैनाती अरुणाचल प्रदेश में हुई। उनका पूरा परिवार देश सेवा के लिए समर्पित रहा है। उनकी तीन पीढ़ियों ने देश की सेवा की है। शहीद राहुल के पिता वीरेंद्र सिंह रैंसवाल असम रायफल्स में नायक थे। राहुल के दादा स्व. शिवराज सिंह रैंसवाल ने भी 5 कुमाऊं में रहते हुए देश सेवा की थी। उनमें भी देशभक्ति का जज्बा अपनी पिछली सैन्य पीढ़ी से आया था। शहीद की शादी 26 अप्रैल 2018 को हुई थी जिसकी 8 माह की बेटी है।
साले की शादी के लिए आना था
पुलवामा मुठभेड़ में शहीद हुए 18 कुमाऊं के सिपाही राहुल रैंसवाल पिछले साल 7 नवंबर को घर से यह कहते हुए ड्यूटी के लिए निकले थे कि वह जल्द ही घर लौटेंगे। उन्हें 9 फरवरी को मेरठ में रहने वाले अपने साले की शादी के लिए आना था। पत्नी प्रीति भाई की शादी की खुशी में पहले से ही मेरठ में तैयारियों में जुटी थीं, लेकिन राहुल की शहादत की खबर ने सारी खुशियों को मातम में बदल दिया।
जिंदादिल था शहीद राहुल
मुलाकात को याद कर कहते हैं कि हंसमुख राहुल बेहद जिंदादिल इंसान थे।शहीद के पिता वीरेंद्र सिंह रैंसवाल को बेटे की शहदात पर फक्र है, लेकिन बेटे को खोने का गम उनके मायूस चेहरे पर साफ झलक रहा था। राहुल की शहादत ने साले की शादी में आने के वादे को तो तोड़ा ही, इस हंसते-खेलते परिवार के सपनों को भी तोड़ डाला।