चमोली – थराली ने अचानक से सुर्खियां बटोर ली। बरेली के बाजार मे कभी झुमका गिरा था जबकि थराली के बाजार में चप्पल गिरी है। लगता है सियासी रैलियों में चप्पल जूता फेंकना अब झंडे डंडे नारेबाजी की तरह हो गया है। जब पहली बार ईराक में बुश साहब की प्रेस वार्ता मे जूता फेका गया तब से जूते की रैंकिग बढ गई है । अब रैली में जूता फेकना एक शौक सा हो गया है। पहले लोग जूता चप्पल फेंकने और खाने दोनों में शर्म सी महसूस करते थे अब जमाना बदल गया है अब न जूते चप्पल फेकने से परहेज है न खाने से। दोनों में पब्लिसिटी मिलती है खास कर सियासी गलियारे में जूते चप्पल चलने की घटना सुर्खियां बन जाती है और सोशल मीडिया मे धड़धड़ लाइक्स् बटोर लेती है।
ताजा घटना है थराली कि जहां भाजपा की पर्दाफाश रैली में चप्पल फेंकी गई। खबर है कि पहले कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच पहले झड़प हुई उसके बाद जूतम पत्रम की नौबत आई। किसी ने कांग्रेस के बागी और अब भाजपा के नेता हरक सिंह रावत और केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा की गाड़ी पर चप्पल फेक दी। चप्पल अापस में भिड़ते सियासी दलों के कार्यकर्ताओं नें जानबूझ कर फेंकी या आपसी झड़प मे अचानक से । लेकिन चप्पल उछली जरूरी है। बताया जा रहा है कि पुलिस और बड़े नेताओं के समझाने बुझाने पर मामला शांत हो गया है । बहरहाल थराली में पर्दाफाश रैली सुर्खियां बटोर ले गई है।