दंतेवाड़ा: मावोवादियों के गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बैलाडीला की पहाड़ियों पर देवताओं को वास है। ये मान्यता वाहां के ग्रामीणों की है। यही कारण है कि आज तक इन जंगलों को कोई नहीं काटता। अब इन जंगलों में खदानें खोदने की तैयारी चल रही है। लोग खदानों के विरोध में सड़कों पर हैं।
आदिवासियों का कहना है कि एनएमडीसी और राज्य सरकार की कंपनी एनसीएल ने उनके नंदराज पहाड़ से लौह अयस्क निकालने के लिये इस पहाड़ के डिपोजिट नंबर 13 का ठेका अदाणी को दे दिया है। एनएमडीसी और राज्य सरकार की छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के संयुक्त उपक्रम एनसीएल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी वी.एस. प्रभाकर इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि सारा मामला पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी की सरकार का है।
बस्तर की बैलाडीला की पहाड़ियां लगभग 40 किलोमीटर की लंबाई और 10 किलोमीटर की चैड़ाई में फैली हुई हैं। इन पहाड़ियों में लौह अयस्क के 14 डिपोजिट हैं, जिनमें श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले 1500 मिलियन टन लौह अयस्क होने का अनुमान है। इन लौह अयस्कों की खासियत ये है कि इनमें समृद्ध लौह तत्व यानी औसत एफई 65 प्रतिशत है, जिसे दुनिया के बेहतर लौह अयस्क में शुमार किया जाता है।