अस्पताल में ओटी की लाइट बंद होने से कई घंटे ऑपरेशन ठप रहे। सुबह इमरजेंसी में लाई गई कुछ गर्भवती महिलाओं का रिस्क लेकर ऑपरेशन किया गया। बाद में दोपहर बाद वैकल्पिक व्यवस्था की गई और तीमारदारों के भी हाथ-पांव फूले रहे। शाम के वक्त जेनरेटर भी बंद पड़ गया और सर्जिकल समेत कई अन्य वार्डों में अंधेरा पसर गया। बताया गया कि यह दिक्कत कई दिन से थी, लेकिन बार-बार मामला अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। डॉक्टरों का कहना है कि यह बुनियादी व्यवस्था है जिस पर अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
इधर, महिला अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी जोशी ने इसकी जानकारी दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा को दी। जिसके बाद उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था कराई। यह तय हुआ कि अगर दोबारा ऐसी घटना हुई तो ऑपरेशन रोकने के बजाय दून अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर उपयोग में लाया जाएगा।
डॉ. मीनाक्षी जोशी का कहना है कि इस आपात स्थिति में डॉक्टरों का अनुभव काम आया अन्यथा बड़ी समस्या खड़ी हो जाती। आगे से ऐसा न हो, इसके लिए उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और हाल में मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. नवीन बलूनी ने इन्हें आहरण अधिकार दिए जाने की बात कही जरूर, मगर इस पर कार्रवाई नहीं हुई है।
एमएसबीवाई काउंटर पर इंटरनेट ठप हो गया। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) के मरीजों को खासी फजीहत झेलनी पड़ी। न उनके ऑपरेशन हुए और न टेस्ट ही.कर्मचारियों ने डोंगल से व्यवस्था सुचारु करनी चाही, मगर इसने भी काम नहीं किया। इस सुविधा के तहत मरीज की जानकारी व दस्तावेज साइट पर अपलोड करने पड़ते हैं।