मद्रास हार्इकोर्ट की मदुरै पीठ ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार को ऐतिहासिक निर्देश देते हुए कहा कि हिंदुओं को अपना धर्म मानने और उसका पालन करने का अधिकार है। कोर्ट ने हिंदू धर्म और धर्मार्थ विभाग को हिंदू मंदिरों में बोर्ड लगाने के लिए कहा है, जिसमें लिखा हो कि गैर-हिंदूओं को मंदिरों के कोडिमारम (ध्वजस्तंभ) क्षेत्र से प्रवेश की अनुमति नहीं है। आपको बता दें कि ये फैसला सुर्खियों में आ गया है। वैसे हमारे देश भारत में ऐसे कई ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है, जहां गैर-हिंदूओं का प्रवेश पूरी तरह बैन है।
जगन्नाथ मंदिर, पुरी
जगन्नाथ मंदिर में गैर हिंदुओं का प्रेश बैन है। इस मंदिर में सिर्फ आस्थावान हिंदुओं को ही प्रवेश मिलता है। यहां विदेशी पर्यटकों की एंट्री भी बैन है। ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, मुस्लिम शासक के हमलों के बाद जगन्नाथ मंदिर में गैर हिंदुओं का प्रवेश बंद कर दिया गया था।

कपालेश्वर मंदिर, चेन्नई
चेन्नई के मलयापुर में स्थित कपालेश्वर मंदिर 7वीं शताब्दी का ऐतिहासिक मंदिर है। द्रविड़ सभ्यता के इस शिव मंदिर में भी गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है। इसी के साथ यहां विदेशी भी नहीं आते।

कामाक्षी मंदिर, कांचीपुरम
तमिलनाडु के कांचीपुरम में मौजूद कामाक्षी मंदिर में माता पार्वती के कामाक्षी स्वरुप की पूजा की जाती है। यह दक्षिण भारत के विख्यात मंदिरों में से एक है। इस मदिंर में भी गैर-हिंदुओं की एंट्री बैन है।

गुरुवायुर मंदिर, त्रिशूर
केरल के त्रिशूर में स्थित गुरुवायुर मंदिर का इतिहास करीब 5000 साल पुराना है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रुप की पूजा की जाती है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
केरल के तिरुवंतपुरम में स्थितपद्मनाभस्वामी मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह मंदिर तब चर्चा में आया था जब इसके तहखानों में अकूत धन संपदा मिली थी। 16वीं शताब्दी के त्रावणकोर के राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। यहां भी गैर हिंदुओं को प्रवेश नहीं मिलता है।

लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर
भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर अपनी खूबसूरत स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। लिगंराज मंदिर में भी सिर्फ हिंदूओं को ही प्रवेश मिलता है। यहां विदेशी नागरिकों को भी एंट्री नहीं मिलती है।