देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा सत्र इस बार कई मायनों में खास है। इस विधानसभा सत्र में कई चीजें पहली बार हो रही हैं। जिस तरह से चुनाव परिणामों ने कई मिथक तोड़े। पुष्कर सिंह धामी दूसरी बार सीएम बने। राज्य की राजनीति में इतिहास के नए पन्ने जुड़े। पांचवीं विधानसभा का पहला सत्र शुरू हो गया है। 31 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में कुछ चीजें पहली बार हो रही हैं।
उत्तराखंड राज्य में पांचवीं विधानसभा के लिए मंगलवार से तीन दिवसीय विधानसभा सत्र की शुरुआत हो गई है। नई सरकार के गठन के बाद ये पहला सत्र आहुत किया गया है। पहला सत्र होने के लिहाज़ से इस विधानसभा सत्र कई मायने हैं। 2000 में राज्य गठन के बाद ये पहला मौका है जब राज्य में पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बनी और सत्र का संचालन कर रही हैं। अब तक के राज्य के इतिहास में विधानसभा अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी सिर्फ पुरुष ही संभालते आए हैं। लेकिन इस बार सदन के भीतर महिला विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर ऋतु खंडूडी अपनी ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाती नज़र आ रही हैं।
दूसरा पहलू ये है कि शायद ऐसा कोई विधानसभा सत्र अबतक ऐसा हुआ होगा, जिसमें विपक्ष नेता प्रतिपक्ष ही नियुक्त ना कर पाया हो और बगैर नेता प्रतिपक्ष के ही सदन की कार्यवाही में शामिल अुहा हो। कांग्रेस अब तक नेता प्रतिपक्ष का ही चयन नहीं कर पाई है। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष की गैर मौजूदगी कई बार रहती है। लेकिन, यहां मामला नियुक्ति का है। कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के लिए आलाकमान को अधिकृत्त कर दिया गया है।
एक और बड़ा और अहम पहलू यह भी है कि इस बार यह भी पहली मर्तबा हो रहा है कि सरकार बनने और मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद भी उनको विभाग अब तक नहीं बांटे गए हैं। मंत्री बिना विभागों के ही सदन की कार्यवाही में शामिल हो रहे हैं। हालांकि, विधायी परंपराओं को निभाने के लिए सरकार की ओर से प्रेमचंद्र अग्रवाल को विधायी और संसदीय कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो सत्र कई मायलों में खास है।