उत्तराखंड में दरोगा भर्ती घोटाले में रोज नए खुलासे हो रहें हैं। दरोगा भर्ती में पैसे का लेनदेन जमकर हुआ। सूत्रों की माने तो पेपर लीक करने वालों ने एक एक अभ्यर्थी से 20 लाख तक वसूले थे। हालांकि कुछ लोगों से कम भी वसूली हुई। कुल मिलाकर देखे तो जिससे जितने में सौदा तय हो जाए उतने में दरोगा बनाने की पूरी गारंटी दी गई थी।
शुरुआती पड़ताल के बाद 20 दरोगाओं को निलंबित किया जा चुका है। कई और दरोगा निशाने पर हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही कुछ और दरोगा कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।
अब चूंकि मामला पुलिस में दरोगा पद का था लिहाजा सेटिंग करने वाले मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार थे। लिहाजा घपला करने वालों ने भी इस मौके का पूरा फायदा उठाया। किसी से 15 लाख तो किसी से 20 लाख तक वसूल लिए।
हालांकि अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि पंतनगर विवि के पूर्व बाबू दिनेशचंद और डीन नरेंद्र सिंह जादौन को इस वसूली में कितनी रकम मिलती थी लेकिन ये तय है कि इन दोनों के हिस्से मोटी रकम आती थी। दरअसल 2015 के बाद इन दोनों की संपत्ति बेतहाशा बढ़ी। अब इन दोनों की संपत्ति की जांच भी की जा रही है।
गजब, ऐसी दरियादिली कि बिन पैसे भी पास करा दिया
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने बताया है कि दिनेश के एक अभ्यर्थी के साथ बेहद निकट के रिश्ते थे। ये अभ्यर्थी दो और अभ्यर्थियों को लेकर दिनेश के पास पहुंचा। दिनेश ने इन दोनों अभ्यर्थियों के लिए दरियादिली दिखा दी। दोनों को बिना पैसा लिए ही पास करा दिया। हालांकि नेटवर्क में जुड़े अन्य लोगों को अन्य अभ्यर्थियों से की गई वसूली में से हिस्सा दे दिया गया।
दिलचस्प ये भी है कि इन्होंने अंत समय में फार्म भरा और बिना किसी तैयारी के ही दरोगा बन गए। इसके बाद दोनों ने खूब मलाई काटी। अलग अलग स्थानों पर पोस्टिंग पाई और दरोगा बन कर रौब दिखाते रहे। लेकिन अब दिनेश की गर्दन एसटीएफ के जरिए दबोचे जाने के बाद दोनों दरोगाओं की पोल अब खुल गई है।