डेस्क। रामदेव की संस्था पतंजली का सलाना करोडों का टर्नओवर यूं ही नहीं होता। दरअसल इसके हिमालयी क्षेत्र में पाये जाने वाली महंगी जड़ी-बूटी है। जिससे पतंजली का व्यापार दिनों दिन बढ़ रहा है। इनमें से एक जड़ी यारसागंबू (यौन शक्तिवर्धक जड़ी) भी है। तिब्बत में यारसागंबू को जाड़े का कीड़ा कहा जाता है। यह फेफड़े की कार्य विधि बढ़ाने के साथ-साथ शुक्राणुजनित रोगों के लिए फायदेमंद बताया गया है। जंतु वैज्ञानिकों ने इसका वानस्पतिक नाम कारडिसेप्स साइनेंनसिक दिया है। इसकी जड़ी 3200 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है। यह फंगस लारवा पर परजीवी के रूप में संक्रमण करता है। इसकी लंबाई सात से दस सेंटीमीटर तक होती है। कहा जाता है कि तिब्बत में इसकी जानकारी 1500 साल पहले हो गई थी। चीन के लोगों को तब आश्चर्य हुआ जब इसे जानवरों को यह कवक खिलाने से उनकी क्षमता असाधारण रूप से बढ़ गई।जानकरों के अनुसार यारसा गंबू में बिटामिन बी-12, मेनोटाल, कार्डिसेपिक अम्ल, इर्गोस्टाल के साथ-साथ 25 से 32 प्रतिशत तक कार्डोसेपिन और डीपाक्सीनोपिन भी होता है। देश में शक्तिवर्धक जड़ी यारसागंबू की निकासी पर रोक के चलते तस्कर फायदा उठा रहे हैं। वहीं चीन और तिब्बत में कीड़ाजड़ी (यारसागंबू) की खुली बिक्री होती है और यह काफी महंगी बिकती है। यारसागंबू के विदोहन या निकासी के लिए सरकार के पास कोई ठोस नीति भी नहीं है। अगर सरकार निकासी अनुमति दे देती तो न सिर्फ सरकारी राजस्व में इजाफा होता। बल्कि स्थानीय लोगों की समृद्धि भी बढ़ती। यौन दुर्बलता दूर करने के साथ ही गठिया और वात रोग में कारगर यारसागंबू के विदोहन के लिए राज्य बनने के सोलह साल बाद भी सरकार ठोस नीति नहीं बना पाई है। हिमालयी क्षेत्र में बर्फ पिघलने के बाद मई से जून समाप्ति तक यारसागंबू जड़ी निकली जाती है। यह जड़ी तिब्बत के तकलाकोट, ल्हासा, टेंच्यू के साथ ही चीन के बीजिंग समेत तमाम शहरों में क्लब और शोरूम में यारसागंबू की खुली बिक्री होती है। चीन में यारसागंबू की प्रति जड़ी 150 रुपए में मिलती है, जबकि एक किलो 15 लाख रुपए में बिकती है। नेपाल में भी यारसागंबू पर कोई प्रतिबंध नहीं है। वहां दस प्रतिशत रायल्टी सरकारी खजाने में जमा करनी होती है। यह वहां इतना बड़ा कारोबार है कि वहां के लोग यहां से हेलीकाप्टर से यारसागंबू बिक्री के लिए ले जाते हैं। यह वहां आम दुकानों में बिकती है। इससे वहां यौनरोग की दवा के साथ ही गठिया, वात और अन्य दवाएं बनाई जाती हैं। लोग शौकिया तौर पर इसके रस को बियर और जूस में मिलाकर पीते हैं।