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देहरादून: उत्तराखंड के चुनावी समर में 82 लाख मतदाताओं की सबसे पहले यह जानने की बेताबी रहेगी कि प्रदेश की सत्ता पर किस दल की सरकार काबिज होगी। क्या राज्य में भाजपा दोबारा सरकार बनाएगी, या एक बार फिर उत्तराखंड नई सरकार के गठन का गवाह बनेगा? ईवीएम में बंद होने वाले वोट जब 10 मार्च को खुलेंगे, इस सवाल का जवाब मिल जाएगा।
करीब 82 लाख मतदाता प्रत्याशियों के साथ ही राज्य का भविष्य भी तय करेंगे। सुबह से ही मतदान के प्रति लोगों में भारी उत्साह नजर आ रहा है। ऐसे में 2022 का विधानसभा चुनाव बदलाव के लिहाज से कुछ मायनों में अहम माना जा रहा है। जहां ये चुनाव खांटी सियासी दिग्गज हरीश रावत, गोविंद सिंह कुंजवाल, बंशीधर भगत, सतपाल महाराज सरीखे उम्रदराज नेताओं के सियासी भविष्य के लिए निर्णायक दांव माना जा रहा है।
सियासी रण में उतरे सभी प्रत्याशियों के लिए यह चुनाव जातीय, क्षेत्रीय और विकास से जुड़े समीकरणों के लिहाज से आखिरी माना जा रहा है। 2026 में नए परिसीमन के बाद 2027 में होने वाले चुनाव में 70 विधानसभा सीटों पर कहीं कम तो कहीं ज्यादा भौगोलिक समीकरण प्रभावित होंगे।
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इन दिग्गजों पर सबकी नजर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, कर्नल अजय कोठियाल, सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल, किशोर उपाध्याय, धन सिंह रावत, बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, यतीश्वरानंद, अरविंद पांडे, रेखा आर्य, प्रेमचंद अग्रवाल, गोविंद सिंह कुंजवाल।