देहरादून: मैरीकाॅम, मतलब बॉक्सिंग रिंग की क्वीन। ऐसी ही क्वीन बनने का सपना पाल रही है देवभूमि की बेटी अर्चना। उसका सपना है कि वो मैरीकाॅम जैसी बने। जब भी रिंग में उतरे अपने मुक्के से विरोधी खिलाड़ी को अपने पंचों चित्त कर हर मुकाबला अपने नाम कर ले। अपने सपने को साकार करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही है। रिंग में हर दिन घंटों पसीना बहाती हैं। मुक्कों को सटीक निशाने पर लगाने। मुक्कों में दम और ताकत लाने के लिए लगातार प्रैक्टिस करती हैं।
देहरादून के गढ़ी कैंट की अर्चना बॉक्सर मैरीकॉम की तरह कामयाब होना चाहती हैं। डीएवी कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई कर रही अर्चना ने बताया कि पिछले पांच साल से वह बॉक्सिंग कर रही है। वो कहती हैं कि जब भी रिंग में उतरीं हैं तो उनके सामने देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना आ जाता है। अब तक राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपने मुक्कों का जलवा दिखा चुकी है।
उसका सपना ओलंपिक में जाकर देश के लिए सोना जीतना है। अर्चना ने पांच साल पहले परेड ग्राउंड में पहला बॉक्सिंग मुकाबला खेला था। उसके बाद उन्होंने कर्नाटक और रोहतक में दो राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले खेलकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। राज्य स्तर पर कई पुरस्कार अपने नाम किए हैं।