देहरादून : उत्तराखंड में अधिकारीयों के कारनामे से वन विकास निगम को 14.28 करोड़ रुपये की रायल्टी का नुकसान उठाना पड़ा है। इस पर कैग ने भी सवाल उठाए हैं। कैग की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि वन विभाग की ओर से छह वन प्रभागों में पेड़ों के कटान की अनुमति दी गई थी। सवाल यह है कि इतनी बड़ी लापरवाही के लिए किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गयी है.कैग की रिपोर्ट के मुताबिक पेड़ों का कटान ना होने से 40957 घनमीटर लकड़ी का उत्पादन नहीं हुआ। जिसकी वजह से 14.28 करोड़ की रॉयल्टी प्राप्त नहीं हो सकी।
उत्तराखंड वन विकास निगम ने प्रभागीय वन अधिकारी रामनगर की ओर से 20 लाटो व प्रभागीय वन अधिकारी तराई केंद्रीय की 15 लाटो के कटान की अनुमति 2013 और 2018 के दौरान आवंटित की गई थी, लेकिन उनका कटान नहीं किया गया। लेखा परीक्षा में यह बात सामने आई कि वन विकास निगम ने समय से कटान नही किया गया, जिससे वनविभाग को रायल्टी के तौर पर 14.28 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रामनगर वन प्रभाग ने वन विकास निगम के अफसरों को बताया भी कराया। बावजूद पेड़ों का कटान नहीं किया गया। दूसरी तरफ प्रभागीय वन अधिकारी तराई केंद्रीय ने भी उत्तराखंड वन विकास निगम के साथ मामले को उठाया फिर भी पेड़ों का कटान नहीं हो पाया।