गौरतलब है कि गुजरे दौर में सूबे मे किसान पशुपालन से अपनी आजीविका चलाते थे। उस वक्त किसान भारी मात्रा में भेड़ पालन करते थे ताकि अपने और परिवार के लिए ऊनी वस्त्र बनाए जा सकें।
बहरहाल खादी ग्रामोद्योग बोर्ड और शीप बोर्ड की बैठक में अधिकारियों की बैठक लेते हुए सूबे के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भेड़ पालन से किसानों को फिर से जोड़ने की वकालत की। रावत ने कहा कि किसान अच्छी ऊन का उत्पादन करें और तकनीक का इस्तमाल करें इसके लिए ऊन उत्पादकों का हौंसला बढाया जाना चाहिए वहीं प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चालाए जाने चाहिए।
अधिकारियों को हिदायत देते हुए सीएम रावत ने कहा कि स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाली ऊन को खादी ग्रामोद्योग बोर्ड खरीदे औ बनाए सामान को मार्केट उपलब्ध् कराने के लिए चारधाम यात्रा मार्ग पर स्टॉल लगाए जाने चाहिए।
इस मौके पर सीएम रावत ने खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के लिए 75 लाख रुपए स्वीकृत किए ताकि बोर्ड किसानो और राज्य के भेड़ पालकों की ऊन वाजिब दाम पर खरीद सके। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर सरकार सूबे के बेराजगार पढ़े लिखे नौजवानो को पशुपालन और ऊन उत्पादन की ओर क्यों नहीं खींच पा रही है।