राजनीति में कब कौन सा मोड़ आ जाए कोई नहीं जानता। 2007 की विधानसभा में नरेंद्रनगर क्षेत्र की जनता ने राज्य आंदोलनकारी रहे क्षेत्रीय दल यूकेडी के उम्मीदवार ओमगोपाल रावत को अपना जनप्रतिनिधि चुना। ओमगोपाल ने तब कांग्रेस के सुबोध उनियाल को बेहद करीबी अंतर से हराया था। आज आलम ये है कि कांग्रेस की पाठशाला मे पले-बढे सुबोध उनियाल और क्षे्त्रीयता की पैरोकारी करने वाले यूकेडी के ओमगोपाल दोनो ही भाजपा में हैं।
2012 के चुनाव में ओमगोपाल को भाजपा ने अपना टिकट दिया और अोमगोपाल तब के कांग्रेसी उम्मीदवार सुबोध उनियाल से हार गए। इस बार 2017 के चुनाव में क्या होगा इस पर सबकी नजर बनी है उसकी वजह ये है कि 2012 से पहले जिस भाजपा के पास नरेंद्रनगर सीट के लिए कोई दमदार दावेदार नहीं था आज उस भाजपा की झोली दावेदारों आमद से लबलब ही नहीं बल्कि छलकने को बेताब है। ऐसे मे कयास लगाए जा रहे हैं कि नरेंद्रनगर में भाजपा की झोली से इस बार शायद दावेदार छलक कर चुनौती दे सकते हैं।
उसकी वजह है कि 2012 के चुनाव में सुबोध से शिकस्त खाए ओमगोपाल पिछले 4 सालों से सुबोध के खिलाफ नरेद्रनगर सीट पर चुनावी तैयारी कर रहे है। ओमगोपाल अपनी तैयारियों की तस्वीर अपनी फेसबुक वॉल पर चस्पा करते रहते हैं। ताकि पार्टी संगठन को पता चलता रहे कि ओमगोपाल क्षेत्र में सक्रिय हैं। मगर अब परिस्थितियां बदल गई हैं, सुबोध उनियाल अब भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य हैं। मतलब अब तक नरेंद्रनगर सीट के सियासी रकीब मौजूदा वक्त में भाजपा के हबीब हो चुके हैं। हालांकि दोनो मूलरूप से कांग्रेसी नहीं हैं।
ऐसे में तय है कि चुनाव की ऐन घड़ी पर नरेंद्रनगर सीट पर पार्टी उम्मीदवार तय करना भाजपा के लिए टेडी खीर ही साबित होगा। वैसे भी कहा गया है ‘एक म्यान में दो तलवार नही रह सकती।’ ऐसे में देखना ये है कि फेसबुक की तस्वीरों को भाजपा आलाकमान अब किस अंदाज मे लेता है। ओमगोपाल के अंदाज में या अपने अंदाज में।