देहरादून: 2022 की बिसात में पहाड़ों की रानी मसूरी में इन दिनों सर्दी के बावजूद चुनावी गर्मी खूब नजर आ रही है। मसूरी विधानसभा सीट का कुछ हिस्सा राजधानी देहरादून के आसपास तो कुछ हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र में आता है। टिहरी जिले सटी इस सीट के मतदाताओं को मिजाज अब तक एक साथ दो टर्म तक मौका देने का रहा है। क्या इस बार बदलाव होगा या फिर गणेश जोशी हैट्रिक लगाएंगे।
2022 की बिसात में मसूरी विधानसभा सीट की बात की जाए तो एक पहाड़ी इलाका होने के नाते यहां के चुनावी मुद्दे और चुनौतियां दूसरी सीटों से थोड़ी अलग हैं। 2022 की बिसात में इस बार मसूरी विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी को रोकना एक बड़ी चुनौती है। तीसरा एंगल आम आदमी पार्टी भी यहां मैदान में हैं। आप किसके वोटों पर सेंध लगाएगी, यह भी देखने वाली बात होगी।
पहाड़ी इलाका होने के साथ साथ मसूरी विधानसभा सीट पर्यटन स्थल के तौर पर भी दुनियाभर में मशहूर है।आबादी के लिहाज़ से मसूरी विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 1 लाख 31 हज़ार 816 है। इनमें महिला वोटर्स की संख्या 62 हज़ार 856 है। जबकि पुरुष मतदाता इस सीट पर 68 हज़ार 943 हैं।
मसूरी विधानसभा सीट का सियासी आंकलन किया जाए तो इस सीट पर पिछले दो विधानसभा चुनाव 2012 और 2017 में भाजपा के गणेश जोशी ने लगातार जीत हासिल की है। लेकिन, उनसे पहले लगातार 2002 और 2007 के चुनाव में कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला ने जीत हासिल की थी।
2022 की बिसात में इस बार मसूरी विधानसभा सीट से भाजपा ने जहां सिटिंग विधायक गणेश जोशी पर ही भरोसा जताया है। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर गोदावरी थापली चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा आप पार्टी से प्रेम किशन, उक्रांद से शंकुतला रावत, सपा से संजय मल्ल और बसपा से अशोक पंवार समेत निर्दलीय प्रत्याशी मनीष गुनियाल भी ताल ठोक रहे हैं।
देखा जाए तो मसूरी विधानसभा सीट पर सैन्य परिवार और गोरखा समुदाय का रुझान भाजपा की तरफ माना जाता है। लेकिन, कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर गोदावरी थापली की भी गोरखा वोटर्स के बीच अच्छी पकड़ है। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस में मुकाबला रोचक हो गया है। कौन बाजी मारेगा, इसके लिए 10 मार्च का इंतजार करना होगा।