देहरादून – उत्तराखंड में अक्सर लेटर बमों के विस्फोट सत्ता के किलों को हिलाते रहें हैं।
इस बार ताजे फटे लेटर बमों ने शासन-प्रशासन में खलबली मचाते हुए जीरों टॉलरेंस की बात करने वाली सूबे की सरकार की हालत महाभारत के उस अर्जुन जैसी बना दी है जिसका मन रणभूमि में सगे संबंधियों को देखकर युद्ध से उचाट हो जाता है।
दरअसल एनएच 74 मुआवजा घोटाले मामले को लेकर पहले सूबे की सरकार ने सीबीआई जांच करने की बात कही थी। लेकिन केंद्रीय ऐजंसी ने सूबे की सिफारिश पर कान तक नहीं धरे। राज्य सरकार रिमांडर भेजती रही लेकिन एक्शन नहीं हुआ। सरकार को समझ में नहीं आया कि, आखिर वजह क्या है।
किसी दौर में तो रणवीर एनकांउटर मसले पर सीबीआई जांच करने के लिए सूबे की सरकार पर केंद्र से दबाव बना था और आज ये आलम है कि राज्य सरकार गुहार लगाने की स्थिति में पहुंच गई है।
तभी केंद्रीय मंत्री का खत आया जिसके मजमून ने सरकार को घुटने के बल बैठाकर बता दिया है कि आखिर क्यों मामले की सीबीआई जांच नहीं हो रही है।
इधर अब दूसरा लेटर बम फटा है बताया जा रहा है कि उत्तराखंड शासन को ये खत NHAI (नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष युद्धवीर सिंह मलिक ने लिखा है।
जिसमें कहा गया है कि उधमसिंहनगर जिला प्रशासन ने 300 करोड़ के मुआवाजे घोटाले को लेकर जो FIR दर्ज करवा रखी है उससे NHAI के अधिकारियों के नाम हटा दिए जांए।
पहले केंद्रीय मंत्री ने कहा कि CBI जांच से NHAI के अफसरों का मनोबल टूटेगा और उत्तराखंड के भविष्य के प्रोजेक्ट्स के बारे में पुनर्विचार करना पड़ेगा।
NHAI के चेयरमैन का तर्क है कि जमीन अधिग्रहण से लेकर मुआवजा वितरण का काम राज्य सरकार की संस्थाओं का है लिहाजा पिंक एंड चूज (मनमाने तरीके से मुआवजा वितरण) का आरोप NHAI के अधिकारियों पर लगाना पूरी तरह से गलत है।
ऐसे में देखना ये है कि अब अर्जुन क्या करेंगे ? अपने कृष्ण मिले ज्ञान के मुताबिक धर्मयुद्ध जारी रखेंगे या द्रोपदी के चीरहरण के घटनाक्रम की तरह सिर झुका कर चुप्पी साध लेंगे ।