डेस्क- सब कुछ सेना के मनमुताबिक हुआ तो मुमकिन है कि आने वाले वक्त में उत्तराखंड के लकड़ी के कलाकारों को गांव मे ही रोजगार हासिल हो जाए। संभव है कि वे अपने पुरखों से मिले हुनर को ही अपनी रोजी रोटी का जरिया बनांएगे और महनगरों के धक्के खाने से बच जाएंगे।
जी हां यकीन मानिए भारतीय सेना ने चीन से सटे उत्तराखंड के गांवों में एग्रो फॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने का काम शुरू कर दिया है। मलारी घाटी में चार हजार अखरोट और चिलगोजा के पेड़ रोपने के बाद अब सेना बार्डर के गांवों में उस कश्मीरी विलोज के पौध रोपने की तैयारी कर रही है। विलोज ऐसी लकड़ी है जिससे बने क्रिकेट के बल्ले और शानदार फर्नीचर पूरी दुनिया में मशहूर हैं।
सेना ने इसका प्रोजेक्ट तैयार कर लिय़ा है। विलोज ऐसा पौधा है जो उच्च हिमालयी इलाकों में उगता है। उत्तराखंड के कई सीमावर्ती गांवों की आबोहवा कश्मीर से मेल खाती है। ऐसे में मुमकिन है कि विलोज के जंगल उत्तराखंड के विलेज को न केवल रोजगार दें बल्कि क्रिकेट की दुनिया में भी मशहूर कर दे। ये भी मुमकिन है कि इंटरनेशनल क्रिकेटर्स के हाथ में कश्मीर के बजाए उत्तराखंडी विलोज के बल्ले हों।