देहरादून- पिछले साल 20 दिसंबर से चार जनवरी के बीच जारी किए गए स्टोन क्रशर, खड़िया पट्टे और खनिज भंडरण के परमिट पर सूबे की नई टीएसआर सरकार ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
कांग्रेस सरकार के हरीश राज में चुनाव आचार संहिता लगने से महज एक पखवाड़े पहले जारी इन परमिटों पर रोक लगाने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
भाजपा सरकार के इस फैसले से करीब 47 स्टोन क्रशर 20 स्क्रीनिंग प्लांट और आधा दर्जन के अधिक निजी नाप भूमि के खनन पट्टों पर जांच की तलवार लटक गई है। नई सरकार ने सचिव खनन शैलेश बगौली की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। ये जांच समिति एक महीने के भीतर सरकार को जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। गौरतलब है कि सूबे की पूर्व कांग्रेस सरकार में हरीश रावत कैबिनेट ने नई उपखनिज चुगान नीति के तहत नाप भूमि में खनन के पट्टों को मंजूरी दी थी।
आवंटित लाइसेंस धारी अब अपने खनिज के कारोबार को जांच के बाद ही कर पाएंगे। बहरहाल जांच की जद में कुमांऊ मंडल के परमिट ज्यादा आए हैं। जिनमे नैनीताल और उधमसिंह नगर के 18 स्टोन क्रशर, एक दर्जन खनिज भंडारण के परमिट और चंपावत व पिथौरागढ़ जिले के दो दर्जन से ज्याद खड़िया पत्थर के लाइसेंस शामिल हैं।