हरिद्वार- सूबे की टीएसआर सरकार से अभी तक किसी को राहत मिली हो या न मिली हो लेकिन तीन तलाक पीड़ित महिलाओ, राज्य के नगर निगमों और साधू सतों को बड़ी राहत मिली होगी।
दरअसल तीन तलाक पर दो टूक ये कहना कि इसे देवभूमि में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा का बयान देकर जहां सीएम रावत ने तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं का दिल जीता है। वहीं धार्मिक संपत्तियों से व्यवसायिक कर के दायरे से हटाने के ऐलान से संत महात्माओं का आशीष भी पाया है। तो वहीं नगर निगमों को भी खाली जमीन से कॉमर्शियल टैक्स हटाकर बड़ी राहत दी है।
गौरतलब है कि सीएम टीएसआर ने हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े के कार्यक्रम में इसका ऐलान करते हुए कहा कि आश्रम-अखाड़ों और धर्मशालाओं जैसी धार्मिक संपत्तियों पर व्यवसायिक कर लगाना उचित नहीं है। हालांकि सीएम ने कहा कि इस निर्णय पर अमलीजामा पहनाने से पहले एक बार धार्मिक संपत्तियों की जांच की जाएगी।
दरअसल पिछली हरीश रावत सरकार ने आश्रम अखाड़ों और धर्मशालाओँ को व्यवसायिक कर के दायरे में लिया था। जिसका संत समाज ने विरोध जाताया था। हरीश रावत सरकार का तर्क था कि जब संपत्ति का व्यवसायिक इस्तमाल हो रहा है तो कर देने में आपत्ति क्यों।
हालांकि टीएसआर सरकार ने भी जांच की बात कही है। ऐसे में देखना ये दिलचस्प होगा कि राज्य मे किन-किन आश्रमो-अखाड़ों और धर्मशालाओं को राहत मिलती है।