देहरादून(दीपिका रावत) : मंगलवार का व्रत, पूरे दिन भूखे-प्यासे लेकिन चेहरे पर तेज और शरीर फूर्ती जैसे मानों कोई रीमेक्स गाना बज रहा हो एकदम फूर्ति भरा…जी हां हम आज बात कर रहे हैं उत्तराखंड पुलिस में सिपाही पद पर तैनात विजय प्रसाद रतूड़ी की जो की इन दिनों पटेलनगर क्षेत्र (लालपुल तिराहे) की ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे हैं.
लेकिन सिपाही का वहां होना मानों ट्रेफिक लाइटों से भी ज्यादा चमक दार हो
बात बीते दिन मंगलवार की है….ट्रैफिक संभाल रहे सिपाही विजय प्रसाद रतूड़ी का मंगलवार का व्रत था लेकिन चेहरे पर ऐसी चमक जैसे मानों घर में लंबी छुट्टी बिताकर, घर का अच्छा-अच्छा खाना खाकर कर तरो ताजा हों…मैं कल शाम 6.30 बजे ऑफिस से छुट्टी होकर वहां से गुजर रही थी कि मैनें विजय प्रसाद रतूड़ी(सिपाही) को देखा जो की वहां ड्यूटी पर थे…ट्रैफिक लाइट खराब हो रखी थी ऐसे में ट्रैफिक व्यवस्था बिग़ड़ जाती है लेकिन सिपाही का वहां होना मानों ट्रेफिक लाइटों से भी ज्यादा चमक दार हो…ट्रैफिक लाइट की चमक भी उनके चेहरे, उनके हावभाव के सामने फीके थे…एक मिनट भी जाम नहीं लगा…
उनके हाथ मानों वो तीन ट्रैफिक लाइट हों
फिर में अपने रुम से बाजार(घंटाघर) के लिए निकली 7.30 बजे…फिर उन्हें देखा…और वापस आई 9 बजे फिर देखा कि सिपाही विजय प्रसाद रतूड़ी वहीं थे औऱ उसी हावभाव, जज्बे से, चेहरे पर मुस्कान लिए ड्यूटी कर रहे थे…उनके हाथ मानों वो तीन ट्रैफिक लाइट हों जो कि हर तीराहे-चौराहे पर होती है…उनकी चेहरे की मुस्कान और चमक हर किसी को आर्कषित कर रहा था हर किसी की नजर उनपे, उनके हावभाव में थी.
खराब ट्रैफिक लाइटों के बीच जाम का नाम नहीं था
मैने देखा की 6.30 बजे से 9 बजे तक वहीं चमक, वहीं जज्बा ड्यूटी का और वहीं चौराहा…लोगों की, गाड़ियों की भीड़…मेरा मन उनसे बात करने को किया..मैं स्कूटी खड़ी करके कई देर तक किनारे खड़ी रही कि कब सर मेरी साइड आएंगे औऱ मैं उनसे पूछूंगी लेकिन वो अपनी ड्यूटी मसगूल थे…फिर मेरा मन किया कहीं अगर वहां गई तो कहीं उन्हें डिस्टब न हो…लेकिन उनका नाम पता पूछे और उनके इस तरह की ड्यूटी करने का स्टाइल के बारे में पूछे बिना रहा नहीं गया. मैं गई औऱ उनका नाम पता पूछा…और उन्हें इस जज्बे से ड्यूटी करने के लिए सराहा..वो बहुत खुश हुए…उन्होंने बताया कि मैं 2 बजे से इस चौक में हूं…बारिश के बीच भी वो किसी आशीयाने की नीचे सहारा लेने नहीं गए बल्की ड्यूटी करते रहे, मैनें उन घंटों में(6.30 से 9 बजे तक) जो देखा वहीं फूर्ति उनके शरीर औऱ चेहरे पर चमक थी…जाम का तो नाम नहीं था…उन्होंने ट्रैफिक व्यवस्था बखूबी निभाई थी.
माथे पर तिलक, भीगी वर्दी और चेहरे पर चमक लिए बखूबी संभाला ट्रैफिक
विजय प्रसाद रतूड़ी ने माथे पर लाल तिलक लगाया मेरा ध्यान गया तो उन्होंने बताया कि आज मेरा मंगलवार का व्रत है…मैं सोच में पड़ गई कि खाली पेट, न पास पानी की बोतल न कुछ ऐसे में इस जज्बे के साथ, चेहरे पर चमक लिए,वर्दी पसीने से भीगी हुई…के साथ ड्यूटी करना, लोगों की सेवा करने वाले सिपाही को सलाम है.
मूल रुप से टिहरी जिले के हैं सिपाही
बता दें कि ये सिपाही विजय प्रसाद रतूड़ी मूल रुप से टिहरी जिले के हैं औऱ यहां ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे हैं. उनके इस काम करने के तरीके से हर कोई दिवाना है और हर कोई उनकी तारीफ करके ही वहां से गुजरता है.
चेहरे की चमक उनकी वर्दी की चमक को बढ़ाती है चाहे वो पसीने से कितनी भी भीगी क्यों ने हो..
बहुच कम ही ऐसे अधिकारी-कर्मचारी हैं जो वर्दी की इज्जत रखें है…और अगर बात ट्रैफिक की करें तो सबसे बड़ा झाम है ट्रैफिक संभालने जिसके लिए ट्रैफिक पुलिस को तैनात किया जाता है लेकिन अधिकतक देखा गया है कि पुलिसकर्मी किनारे खड़े फोन पर चैटिंग करते या फोन पर बतियाते हैं लेकिन विजय प्रसाद रतूड़ी जी के चेहरे की चमक उनकी वर्दी की चमक को बढ़ाती है चाहे वो पसीने से कितनी भी भीगी क्यों ने हो..
ऐसे सिपाही को हमारा, खबर उत्तराखंड का सलाम