दरअसल, डिपो प्रभारी प्रतिमा गुप्ता के खिलाफ डिपो मशीनरी तभी से सक्रिय है, जब उन्होंने टेंपरेरी नॉल अवेलेवल (टीएनए) के नाम पर सैन्य कैंटीनों को शराब के मनमाने ब्रांड थमाने का मामला पकड़ा था। उन्होंने इसकी लिखित शिकायत आबकारी आयुक्त से की थी। इसके बाद प्रतिमा गुप्ता को प्रकरण का जांच अधिकारी बनाया गया था। इसी दौरान उनका स्थानांतरण भी कर दिया गया, जिस पर मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद रोक भी लगा दी गई थी। हालांकि, तब तक आबकारी विभाग एक अन्य निरीक्षक शिव प्रसाद व्यास का स्थानांतरण डिपो में कर चुका था। इससे डिपो में प्रतिमा गुप्ता का विरोध और तेज होने लगा। यहां तक कि उनकी उपस्थिति के बावजूद शराब की निकासी शिवप्रसाद व्यास से कराई जाने लगी। इसके बाद भी जांच की आंच कम नहीं हुई तो डिपो प्रभारी के कक्ष में कैमरा लगा दिया गया, ताकि जांच को लेकर की जा रही कार्यवाही पर नजर रखी जा सके।
डिपो प्रभारी को बाहर करने के लिए ताला
डिपो में इस समय डिपो प्रभारी के अलावा अन्य निरीक्षक भी कार्यरत हैं। इसे लेकर आबकारी आयुक्त ने कुछ दिन पहले दूसरे निरीक्षक शिवप्रसाद व्यास का स्थानांतरण यहां से कर दिया था। इसके विरोध में वह कोर्ट चले गए।कोर्ट ने स्थानांतरण पर रोक लगाते हुए फिलहाल यथा स्थिति रखी है। यानी दोनों अधिकारी अभी डिपो में ही कार्यरत रहेंगे। जबकि डिपो प्रभारी के कक्ष पर लगे ताले के ऊपर एक और ताला जड़ दिया गया। उत्तराखंड के आबकारी आयुक्त युगल किशोर पंत ने कहा कि यह गंभीर मामला है, हालांकि इसकी कोई अधिकारिक सूचना अभी मुझ तक नहीं पहुंची। पता कराकर इस पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।