देहरादून, संवाददाता। मुख्यमंत्री हरीश रावत और सूबे के शिक्षामंत्री ने राज्य मे शिक्षकों की बढ़ती नाराजगी को भांपते हुए बैठक की। उम्मीद जताई जा रही थी कि इस बैठक का कुछ न कुछ नतीजा जरूर निकलेगा। लेकिन बैठक नो दिन चले अढाई कोस ही साबित हुई। मुखिया और मंत्री की बैठक निर्णायक बैठक न बनकर महज समीक्षा बैठक बन कर रही गई। दरअसल सूबे के सरकारी स्कूलों में अपनी सेवा दे रहे कच्चे पक्के सभी शिक्षक चुनावी वक्त में सड़कों पर उतरे हुए हैं। आंदोलन की चेतावनी दे चुके शिक्षक संगठन सरकार को चुनाव में देखलेने की चेतावनी भी दे चुके है। ऐसे में लग रहा था कि आज की बैठक इस लिहाज से निर्णायक ही होगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। समीक्षा बैठक आश्वासन बैठक साबित हुई।सचिवालय में हुई बैठक के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी मजबूरियां गिनाते हुए ही सही लेकिन ये भरोसा दिलाया है कि शिक्षकों की मांगों के संबंध में सरकार गंभीरता से काम कर रही है। वहीं शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने भी बैठक के बाद आश्वासन दिया है कि सरकार शिक्षकों की समस्याओं को लेकर ना सिर्फ गंभीर है बल्कि उनकी मांगों को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि सूबे मे सरकारी शिक्षकों की तादाद सबसे ज्यादा है और इस लिहाज उनकी यूनियन भी बड़ी है। ऐसे मे उन्हें चुनावी साल में उनको संतुष्ट रखना सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में देखना ये दिलचस्प होगा कि सरकार के आश्वासनों से अध्यापक तबका कितना संतुष्ट होता है।