टिहरी : त्रिवेंद्र सरकार द्वारा मरीना बोट में पहली बार 2018 में कैबिनेट बैठक की गई थी जिसके बाद उस मरीना बोट की सुध किसी ने लेनी जरुरी नहीं समझी. हालात ऐसे हो गए कि करोड़ों की लागत से बनी बोट पानी में डूब गई उसकी हालत खस्ता हो गई थी. मामला मीडिया द्वारा सोशल मीडिया पर खूब उछाला गया औऱ सरकार के साथ पर्यटन विभाग की जमकर किरकिरी हुई थी. बोट की हालत की जानकारी सरकार तक पहुंचाई गई. वहीं इसके बाद सीएम ने डीएम को इस मामले में जांच के आदेश दिए थे जिसकी आज रिपोर्ट आ गई है.
जी हां जांच रिपोर्ट के अनुसार मरीना बोट को फिर से जीवित करने और उसकी सुंदरता वापस लाने के लिए विभाग को 8 से 10 लाख रुपये खर्च करने होंगे.
2018 में हुई थी त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक
आपको बता दें कि 16 मई 2018 को जब मरीना बोट पर त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट की बैठक हुई थी तो सरकार द्वारा प्रदेश के पर्यटन को मजबूत करने की बात कही गई थी और 13 जिलों में 13 नए डेस्टीनेशन बनाने की योजना का ऐलान भी किया गया था. लेकिन मात्र एक बोट को न संभाल पाने और इसकी खस्ता हालत को देख लोगों में गुस्सा भड़का और बोट की फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई.
4 करोड की ये बोट गढ़वाल मण्डल विकास निगम को दी गई थी
आपको बता दें कि मरीना बोट हरीश रावत की सरकार के दौरान लगभग 4 करोड़ की लागत से बनी ये बोट गढ़वाल मण्डल विकास निगम को दी गई है. इसे पीपीपी मोड पर दिया जाना था. लेकिन किसी प्राइवेट खरीदार ने इसमें इंटरेस्ट ही नहीं दिखाया. इसके बाद कुछ समय तक ये बोट लावारिस रही और बाद में गढ़वाल मण्डल विकास निगम को इसे हैंड ओवर कर दिया गया. लेकिन निगम के पास इसे चलाने के लिए संसाधन ही नहीं थे. जिसे फिर से चलाने योग्य बनाने के लिए 8 से 10 लाख खर्च करने की बात की जा रही है.
अगर सरकार सच में उत्तराखंड में पर्यटन को बढावा देना चाहती है तो सरकार को उन सभी पर्यटन स्थलों का खासा ध्यान रखना होगा…मेंटेनेंश करना होगा ताकि पर्यटकों की हालत मरीना बोट जैसी न हो.