देहरादून- भाजपा की पर्दाफाश यात्रा अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गई। यात्रा में यूं तो कांग्रेस की भ्रष्टाचार को निशाना बनाना था, लेकिन हालात इस कदर खराब हो गए कि जैसे ही पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी अपना संबोधन शुरु कर रहे थे, उसके चंद मिनट बाद ही कार्यकर्ता खंडूड़ी का भाषण छोड़ खाने पर टूट पड़े। रायपुर स्थित एक वैडिंग प्वाइंट में भाजपा ने रैली के लिए अखाड़ा तो खूब जोड़ा लेकिन भूखे प्यासे कार्यकर्ता सयंम नहीं रख सके। कुल मिलाकर राजधानी में पहली मर्तबा आयोजित पर्दाफाश रैली खानाफाश रैली में तब्दील हो गई। आईए आपको बताते है कि भाजपा की पर्दाफाश रैली की गर्जना चंद मिनटों में ही कैसे तार तार हो गई।
रायपुर स्थित एक वैडिंग प्वाइंट में यूं तो आयोजको ने कार्यकर्ताओं का अच्छा जमावड़ा जमा लिया। मंच भी सजा था, और खंडूड़ी के अलावा दो विधायक भी मंच पर मौजूद थे। वैडिंग प्वाइंट कार्यकर्ताओं से पूरी तरह पैक था। विधायक समेत कई बड़े नेता अपना गला साफ कर चुके थे, अब बारी थी पर्दाफाश रैली के मुख्य अतिथि व पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी के संबोधन की। संबोधन से पहले कार्यकर्ताओं ने मंच पर मौजूद तमाम भाजपा नेताओं को बुके आदि देकर सम्मानित किया। जैसे ही खंडूडी ने मंच संभाला और कांग्रेस के भ्रष्टाचार पर बोलना शुरु किया उसके चंद मिनट बाद ही वैडिंग प्वाइंट में कार्यकर्ताओं के बीच खलबली मच गई। कोई कुछ समझ पाता इससे पहले कार्यकर्ता खंडूड़ी का भाषण छोड़ खाने पर टूटते दिखाई दिए।
हालात इसकदर खराब हो गए कि खंडूड़ी का मूड ऑफ हो गया और उन्होंने अपना संबोधन समाप्त कर दिया। मंच पर उपस्थित विधायक व मेयर भी हतप्रभ रह गए। खंडूडी का गुस्सा भी मंच पर ही बिखर पड़ा। वो अपने आप को रोक नहीं सके। उधर दूसरी ओर इस मामले पर पूछे जाने पर कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए उमेश शर्मा काऊ ने इसे कांग्रेस की साजिश करार दिया। हालांकि भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने ये माना कि कुछ अव्यवस्था के चलते और खाने के प्रति प्रेम की वजह से ही उत्साहित कार्यकर्ता खंडूड़ी के भाषण को छोड़ खाने की तरफ टूट पड़े।
इसके पश्चात बामुश्किल अनुरोध पर पत्रकारों को संबोधित कर उन्होंने पर्दाफाश रैली के उद्देश्य आदि को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला। खंडूड़ी ने कहा कि प्रदेश की हरीश रावत सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। उन्होंने कहा कि क्या इसी के लिए उत्तराखंड का निर्माण हुआ था। सरकार इसकदर भ्रष्टाचार में लिप्त है कि पूर्व में भाजपा सरकार के एतिहासिक फैसलों को भी पलटने से कांग्रेस सरकार गुरेज़ नहीं कर रही है। शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग का मामला हो या फिर लोकपाल बिल का, सरकार की चुप्पी भ्रष्टाचार की तरफ साफ इशारा कर रही है।