देहरादून से फिर एक बार पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर पीटने का मामला सामने आया है. इससे पहले भी ऐसी घटना सामने आई थी जिससे यही सवाल उठता है कि जनका की रक्षा करने वाले पुलिसकर्मियों को सुरक्षा कैसे मिलेगी और वो कब खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे.
जी हां क्योंकि ताजा मामला डाकपत्थर चौकी क्षेत्र अंतर्गत जीवनगढ़ स्थित कुरैशी मोहल्ले का है. जहां दो पक्षों के बीच विवाद हो गया था, जिसके देखते हुए पुलिस को सूचना दी गई. मौके पर पुलिस कर्मी विवाद को सुलझाने पहुंचे लेकिन दो पक्षों के विवाद के बीच आना उनको भारी पड़ गया.
जानकारी मिली है कि एक पक्ष के लोगों ने पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की की और उनको कमरे में बंद कर दिया जिसमें चौकी प्रभारी डाकपत्थर शिशुपाल राणा समेत चार पुलिस कर्मी घायल हो गए। पुलिस कर्मियों में दो महिला कॉस्टेबल भी शामिल हैं. वहीं इसके बाद घायल पुलिसकर्मियों को विकासनगर सीएचसी अस्पताल ले जाया गया जहां उनका इलाज किया गया. वहीं विवाद को देख वहां मौके पर पुलिस फोर्स तैनात की गई. पुलिस ने इस मामले में 7 महिलाओं समेत 11 लोगों के खिलाफ लोक सेवक पर हमला करने, बंधक बनाने, मारपीट और सरकारी कामकाज में बांधा का मुकदमा दर्ज किया।
ये है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार रविवार सुबह इंतजार पुत्र वली मोहम्मद निवासी कुरैशी मोहल्ला जीवनगढ़ ने पुलिस को फोन पर सूचना दी कि उसके भाई गुलबहार, उसकी बेटियों और अन्य परिजनों ने उसे, उसकी पत्नी और बेटे को मारपीट कर एक कमरे में बंद कर दिया है।सूचना पर डाकपत्थर चौकी प्रभारी शिशुपाल राणा मय फोर्स मौके पर पहुंचे। जब वह मौके पर पहुंचे तो वहां पर काफी भीड़ एकत्र थी। पुलिस ने किसी तरह कमरे में बंद किए गए इंतजार और उसके परिवार वालों को छुड़ाया। तीनों को छुड़ाते ही वहां मौजूद लोगों ने पुलिस कर्मियों के साथ धक्का मुक्की और हाथापाई शुरू कर दी। जिसके बाद उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया। इस हाथापाई में चौकी प्रभारी के साथ ही कॉस्टेबल रमिंदर महिला चीता में नियुक्त महिला हेड कॉस्टेबल मंजू और कॉस्टेेबल दीपा चोटिल हो गई। फोन पर ही चीता पुलिस ने पुलिस फोर्स की डिमांड की। जिसके बाद मौके पर भारी पुलिस बल पहुंच गया। किसी तरह कमरे में बंद पुलिस कर्मियों को छुड़ाया गया।
मामले में पुलिस ने सात महिलाओ समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है और जल्द गिरफ्तारी की बात कही है.
आखिर पुलिस खुद को सुरक्षित कब महसूस करेगी?
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर पुलिस खुद को सुरक्षित कब महसूस करेगी. क्योंकि ये पहला मामला नहीं है जब पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया है बल्कि इससे पहले भी विवाद सुलझाने गए चीता पुलिसकर्मी पर फौजी ने खुखरी से हमला कर लहुलुहान कर दिया था. आखिर पुलिस खुद को कब सुरक्षित महसूस करके ड्यूटी करेगी? इन हमलों को देखते हुए जल्द पुलिस कर्मियों की सुरक्षा के लिए भी कानून बनना चाहिए.