देहरादून- जनपद में कानून का भय अपराधियों को जरूर हो लेकिन अपनी हनक के आगे शासन के आदेश को भी पुलिस के अधिकारी ठेंगा दिखाने का काम कर रहे हैं जिसका जीता और जागता नमूना है रुद्रपुर में यातायात मुख्यालय पर लगा हुआ होर्डिंग. चौकाने वाली बात ये है कि यह मामला पुलिस के अधिकारियों के संज्ञान में भी है बावजूद इसके अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया..जिससे ये साफ है कि कोई और नहीं बल्कि उधमसिंह नगर की पुलिस ही शासनादेश को ठेंगा दिखाने का काम कर रही है. और साथ ही जिले के कप्तान का अटपटा बयान और भी लजवाब है.
दरअसल रुद्रपुर के इंद्रा चौक पर शासना की ओर से मनाही के बावजूद निजी और व्यावसायिक भवनों की छत पर खुलेआम फ्लेक्स लगाया जा रहा है. जिससे पुलिस भी परिचित है लेकिन पुलिस विभाग ही शासन के आदेशों को ठेंगा दिखाने का काम कर रहा है.
2016 में ये आदेश किया गया था जारी
आपको बता दे सरकार की ओर से 2016 में ये आदेश जारी किया गया था कि किसी भी सरकारी और गैर सरकारी भवन की छत पर कोई भी विज्ञापन नहीं लगाया जा सकता.
राज्य सरकार को राजस्व की खासी चपत
दरअसल विज्ञापन लगाने संबंधी जारी शासनादेश की धज्जियां महानगर में सरेआम उड़ाई जा रही हैं जिससे राज्य सरकार को राजस्व की खासी चपत लग रही है। विज्ञापन एजेंसियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि एक विज्ञापन एजेंसी ने इंदिरा चौक स्थित यातायात पुलिस कार्यालय के ऊपर ही भारी भरकम फ्लेक्सी लगा रखा है.
भवनों की छत पर फ्लेक्सियां लगाने पर पूरी तरह से पाबंदी
जबकि सरकार ने अपने जारी शासनादेश में ये साफ तौर पर कहा है कि शहरी क्षेत्रों में निजी और व्यावसायिक भवनों की छत पर फ्लेक्सियां लगाने पर पूरी तरह से पाबंदी है. लेकिन फिर भी खुलेआम शसनादेश के विपरित काम किया जा रहा है. ऐसे में यातायात पुलिस कार्यालय की छत पर लगी हुई उक्त फ्लेक्सी प्रशासन ही नहीं बल्कि राज्य सरकार के शासनादेश की भी खिल्ली उड़ाते नजर आ रही है।
वहीं इस मामले में जब जिला एसएसपी डॉ सदानंद दाते से पूछा गया तो उन्होंने अटपटा जवाब दिया और कहा कि जब शहर से बाकी फ्लेक्स हटाए जाएंगे तब इस फ्लेक्स को भी सब हटा दिया जाएगा..यही नहीं एसएसपी साहब तो मीडिया के इस सवाल पर उखड़ भी गए उन्होंने कहा कि मीडिया को इस फ्लेक्स के अलावा और कुछ नहीं दिखाई देता.
एसएसपी ने भी किया मामले को नजरअंदाज
जहां एक और जिले के कप्तान को मामला संज्ञान में आने के बाद इस पर कार्यवाही के आदेश देने चाहिए थे, तो वहीं उन्होंने भी शासन के शासनादेश को नजरअंदाज कर दिया.