हल्द्वानी: गौलापार। हल्द्वानी का वो इलाका, जिसे खेती के लिए जाना जाता है। हल्द्वानी के आसपास अगर अब भी सबसे ज्यादा खेली की जमीन कहीं बची है, तो वो गौलापार ही है। ये धरती कभी सोना उगलती थी। फसलें तो आज भी उग रही हैं, लेकिन वो फसलें अब खतरनाक हो गई हैं। धरती की उर्बरा क्षमता कम हो रही है। इसके कारण भी बेहत खतरनाक हैं और किसी और की नहीं बल्कि हमारी ही गलतियों के कारण हो रहा है।
गौलापार का इलाका खेती के लिए जाना जाता है। गौलापार की मिट्टी सोना उगलती है और खेती ही यहां के लोगों के लिए आर्थिकी का जरिया भी है। लेकिन, हाल ही में हुए मृदा परीक्षण के जो परिणाम सामने आए वो बेहद चैंकाने वाले तो हैं ही बेहद खतरनाक भी हैं। मिट्टी में अम्लीयता यानी एसिड की मात्रा बढ़ चुकी है। जो आने वाले दिनों में खेती के लिहाज से बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
गौलापार की मिट्टी में एसिड की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। इससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता तो कम हो ही रही है। इस जमीन पर उगाई जा रही फसलें लोगों की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। इफको की जांच में पता चला है कि अम्लीयता लगातार बढ़ रही है। मिट्टी की पीएच वैल्यू 6.58 के बीच होनी चाहिए, लेकिन इस जांच में यह वैल्यू तय मानक से कम है। जानकारों की मानें तो ये बेहद चिंताजनक है। लोगों को खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए सुझाव दिया गया है कि वो खेतों में सूखा चूना और लकड़ी के बुरादे का प्रयोग करें।