उधम सिंह नगर के किच्छा के शांतिपुरी क्षेत्र में ग्राम जवाहर नगर के उत्तराखंड टीम से खेले खिलाड़ी दिव्यांग क्रिकेटर सुबोध कुमार रिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर है। बता दें कि सुबोध कुमार उत्तराखंड दिव्यांग क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रहे हैं। वो कई नेशनल मुकाबलों में उत्तराखंड की टीम को जीत भी दिला चुके हैंं। इसके बावजूद इस दिव्यांग क्रिकेटर को आज तक भी सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है। सुबोध कुमार नेशनल भी व्हीलचेयर क्रिकेटर को बचपन से ही पोलियो ग्रस्त होने से उनके माता-पिता के डॉक्टरी इलाज करने पर भी स्थिति ठीक नहीं हो पाई और वह चलने और घूमने में सुबोध कुमार असमर्थ रहे। और सुबोध कुमार की शारीरिक स्थिति और परिवार स्थिति दोनों खराब होने के कारण सुबोध कुमार बचपन में ही पढ़ाई भी पूर्ण रूप से नहीं हो पाई और वह बचपन से ही घर वालों के साथ उनका काम मैं हाथ बताने लगा। साथ में वह बचपन से ही क्रिकेट खेलने और देखने का बहुत शौक था। और बच्चों के साथ जमीन पर बैठकर क्रिकेट खेला करता था। क्रिकेट खेलते समय जितना खुश होता था उतना ही दुखी भी होता था क्योंकि मेरे साथ खेलने वाले कहीं भी दौड़ सकते थे वे बैटिंग बॉलिंग फील्डिंग मुझसे कई अच्छी तरह कर पाते थे। जिसे देखकर मुझे ऐसा लगता था कि इस संसार का सबसे कमजोर इंसान मैं ही हुँ परंतु कुछ साल पहले जब मैंने अपने क्षेत्र के धन सिंह कोरंगा के बारे में सुना और पेपर में पढ़ा कि वह व्हीलचेयर पर क्रिकेट खेलते हैं तो उनसे संपर्क सादा और उन्होंने मुलाकात हरीश चौधरी से करवाई और हरीश चौधरी द्वारा ट्रायल सेशन के लिए रुद्रपुर में बुलाया जहां कि पूरे उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों से आए हुए अन्य दिव्यांग खिलाड़ी भी थे। उनमें से 12 खिलाड़ियों का चयन गुजरात में होने वाली त्रिकोणी सीरीज के लिए किया गया था। जिनमें से एक नाम सुबोध कुमार का भी था। 12 खिलाड़ियों मैं सुबोध कुमार अपना नाम पाकर शामिल होने पर बहुत प्रसन्नता हुई।
गुजरात में गुजरात और महाराष्ट्र के खिलाफ खेलने के बाद सुबोध कुमार का चयन दिल्ली के द्वारका में प्रथम में IWPL इंडियन व्हीलचेयर प्रीमियर लीग के लिए चयन हुआ। उसके बाद एक के बाद अनेक राज्यों में होने वाले व्हीलचेयर क्रिकेट के लिए उत्तराखंड वॉरियर्स टीम में चयन होता रहा और अनेक राज्यों में खेलने का मौका मिलता रहा परंतु उसके बाद लगातार उत्तराखंड व्हीलचेयर टीम के लिए एक राइट हैंड बैटस मैन के रूप में खेल रहा। और दिल से आभार व्यक्त करा व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के जन्मदाता हारून रशीद का उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के वाइस कैप्टन धन सिंह कोरंगा का और कोच हरीश चौधरी का जिनकी वजह से दिव्यांगों को एक मंच पर खेलने का मौका मिलता और अपनी प्रतिभा को दिखा कर जीने की नई आस जगती है।
वहीं परिवार की जिम्मेदारी होने से काम की तलाश में घूमता रहा और फिर परिवार वालों ने एक टुकटुक कर्जे में लेकर दीया और अपने परिवार का आवश्यकता टुकटुक चला कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है। वह हो मूल रूप से दिव्यांग क्रिकेटर सुबोध कुमार झारखंड के निवासी हैं सुबोध पिछले कई सालों से उत्तराखंड के निवासी हैं और वह सबसे ज्यादा पीड़ित लॉकडाउन के चलने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा लॉकडाउन चलते
सुबोध कुमार पर एक और अतिरिक्त बोझ लॉकडाउन में बिजली विभाग से भोज डाला गया है लॉकडाउन में मई के महीने में ₹2177 का बिजली का बोझ डाला गया फिर अगस्त के महीने में बिजली विभाग के द्वारा ₹4451 का बिजली का बिल देखकर व्हीलचेयर क्रिकेटर की पूर्ण रूप से कमर तोड़ी गई है और सुबोध कुमार द्वारा अधिकारियों को कई बार शिकायत करने पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है।