देहरादून- पूरे प्रदेश में जमीन के पुराने सौदागरों के लिए ये बड़ी खुशखबरी है जबकि अपने रहने के लिए मकान और बेरोजगार बेटे के लिए दुकान बनाने की सोचने वालों के लिए ये बुरी खबर है। दरअसल सरकार ने पूरे प्रदेश में जमीनों के सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी कर दी है।
जिसके तहत पूरे राज्य में सरकार जमीनो के सर्किल रेट में पांच से बीस फीसदी की बढ़ोत्तरी करने की तैयारी कर रही है। हालांकि प्रस्ताव ऐसा भी है कि जिस इलाके में सर्किल रेट पहले से इतना बढ़ा हुआ है कि खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं उन जगह सरकार सर्किल रेट कम करने की तैयारी भी कर रही है। ताकि उन इलाकों में जमीन की खरीद-फरोख्त का ठप्प पड़ा कारोबार फिर से शुरू हो चुके।
सरकारी कवायद के मुताबिक अर्ध शहरी इलाकों में सर्किल रेट बढ़ाए जाने के प्रबल आसार हैं। बताया जा रहा है कि सभी जिलों से नए सर्किल रेट के प्रस्ताव पहुंच गए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर जैसे मैदानी जिलों समेत उन जिलों पर भी पड़ेगा जहां पहाड़ो से पलायन कर नए आशियाने तलाशे जा रहे हैं।
जमीनों के सर्किल रेट को बढ़ाने की कवायद के पीछे सरकार बेशक अपने राजस्व में इजाफे का तर्क दे लेकिन हकीकत ये है कि इससे सरकार को जो नफा होगा वो तो होगा ही सबसे ज्यादा मोटा माल जमीनों की खरीद-फरोख्त के धंधे से जुड़े पुराने कारोबारी कमाएंगे। जबकि सबसे ज्यादा नुकसान उस आम आदमी को होगा जिस बेचारे को मकान बनाने के लिए एक प्लॉट खरीदना है, या अपने बेरोजगार बेटे के लिए दुकान बनाने के लिए जमीन खरीदनी है।
दरअसल जमीनों के कारोबारियों ने नोटबंदी से पहले आउटर इलाकों में बड़ी-बड़ी जमीनें खरीदी। नोटबंदी के दौरान उनका भुगतान किया। मौजूदा वक्त में रियल स्टेट के कारोबार में उत्तराखंड में मंदी छायी हुई है। तय है कि अर्धशहरी इलाकों में सरकार जमीन के सर्किल रेट बढ़ाएगी जिससे जमीन के धंधे के पुराने कारोबारियों की सस्ती खरीदी हुई जमीन के दाम ्अपने-आप ही बढ़ जाएंगे।
नोटबंदी के बाद जिस जमीन के धंधे को वो मरा हुआ मान चुके थे उसमें सरकार की इस कवायद से अपने-अाप ही प्राण पड़ जाएंगे। तय है कि जिस बेचारे आम आदमी ने मकान -दुकान के लिए प्लॉट लेना है और बैंक से लोन उठाना है उसकी जेब बढ़े सर्कल रेट के सरकारी चाकू से अपने आप कट जाएगी। यानि जमीन के कारोबारियों को सरकार ने ठट्टा मार कर हंसने का मौका दिया है जबकि आम आदमी के मन को जोड़-घटाव का मौका। बहरहाल सरकार को अपनी इस कवायद से अपने राजस्व में कम से कम 10 से 20 प्रतिशत इजाफा होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद रजिस्ट्री एवं स्टांप शुल्क में लगातार भारी गिरावट दर्ज की गई है।