जहाँ एक और प्रदेश सरकार पर्यटन स्थलों की और पर्यटकों को लुभाने के लिए लाखों-करोड़ों रूपये खर्च करके विज्ञापन और तरह-तरह के कार्यकर्मों द्वारा उत्तराखंड में पर्यटकों को ज्यादा से ज्यादा बुलाकर प्रदेश सरकार का सपना सच करने की कयावद में जुटी है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के स्वागत द्वार पर आते ही यात्रियों को हजारों रुपयों का चूना लग रहा है. वो भी बिना बात के.
जी हा रुड़की में दिल्ली-हरिद्वार रोड पर स्थित एआरटीओ कार्यालय पर आने वाले बाहरी राज्य के लोगों के चारधाम यात्रा करने के लिए अब रुड़की के एआरटीओ पर ग्रीनकार्ड बनाने का काम हो रहा है. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से रोजाना चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों को 1000 रुपयों से लेकर 2000 हजार रुपये तक ग्रीनकार्ड बनवाने के लिए दलालों को देने पड़ रहा है. और तो और कोई रसीद तक नहीं दी जा रही.
दलाल आने वाले यात्रियों से मनचाहे पैसे लेकर ग्रीनकार्ड बनवाने की बात करते हैं. अगर कोई भी वाहन स्वामी या चालक रुपये देने में आनाकानी करते हैं तो उनको घंटों तक तपती गर्मी औऱ धूप में लाइन में लगकर ग्रीनकार्ड बनवाना पड़ रहा है और इतना ही नही अंदर बैठे कर्मचारी भी लोगों पर रहम नहीं करते बल्कि उनके पेपर में इस तरह की कमियों को गिनाया जाता है कि ग्रीनकार्ड बनवाने वाले लोग परेशान होकर दलालों का ही सहारा लेने को मजबूर हो जाएं.
वहीं जब इस मामले पर एआरटीओ अधिकारी से बात की गई तो वो जवाब देना तो दूर वह बात करने को भी तैयार नहीं हुए. किसी तरह जब उनसे फ़ोन द्वारा सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है और वो आज किसी मीटिंग के चलते रुड़की से बाहर हैं.